Cow Care in Flood and Rainy Season देशभर में भैंसों से ज्यादा गायों की संख्या है. भारत में गायों का दूध के अलावा खेती के काम में बहुत ही महत्व है. देश में गायों की 50 से ज्यादा रजिस्टर्ड नस्ल हैं. साथ ही सभी राज्यों में गायों की कुछ ऐसी भी नस्ल हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं. इतना ही नहीं देश के कुल दूध उत्पादन में गायों की हिस्सेदारी 50 फीसद है. इसमे विदेशी नस्ल की वो गाय शामिल नहीं हैं जिन्हें जर्सी और होस्टीन फ्रिसियन कहा जाता है. लेकिन गाय देसी नस्ल की हो या विदेशी, उन्हें बाढ़-बरसात के दौरान और बाद में सबसे ज्यादा बीमारियां परेशानी करती हैं. लेकिन, अगर उनकी इन परेशानियों पर लगातार नजर रखी जाए तो कुछ उपाय अपनाकर उन्हें कंट्रोल किया जा सकता है.
सांस लेने में दिक्कत, गले में सूजन होती है. एंटीबायोटिक दवा और इंजेक्शन इलाज है. साथ ही बरसात के मौसम से पहले वैक्सीनेशन कराना चाहिए.
थनों में दिक्कत, दूध में छर्रे आना, थनों में सूजन इस बीमारी के लक्षण है. अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं. पशु के दूध और थन की समय-समय पर जांच करते रहना चाहिए.
106-107 डिग्री तक बुखार होना, पशु के पैरों में सूजन, पशु का लंगड़ा कर चलना. बरसात से पहले वैक्सीनेशन करवाना और बीमार पशुओं को हेल्दी पशुओं से दूर रखना.
शरीर का तापमान कम हो जाना, सांस लेने में परेशानी होना. प्रसव के 15 दिन तक पूरा दूध न निकालें और पशु को कैल्शियम से भरा आहार और सप्लीमेंट दें.
मुंह और खुर में दाने होते हैं, दाने छाला बनकर फट जाते हैं और घाव गहरा हो जाता है. फौरन ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए बरसात से पहले टीकाकरण कराना चाहिए और बारिश में पशु को खुले में चरने नहीं देना चाहिए.
पेशाब और गोबर में खून आना, तेज बुखार होना. पशु चिकित्सक से संपर्क कर स्थिति के हिसाब से उपचार करना चाहिए. इस रोग से बचाने के लिए वक्त रहते टीकाकरण करा लेना चाहिए.
पशु सुस्त हो जाता है, सूखी खांसी और नाक से खून आने लगता है. रोग के लक्षण दिखते ही पशु को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. पशु के आहार का खास ध्यान रखना चाहिए.
पांच-छह महीने में योनिमुख से तरल गिरता है, बच्चे होने के लक्षण दिखते हैं, लेकिन गर्भपात हो जाता है. पशु की ठीक से सफाई करनी चाहिए, डीवॉर्मिंग करनी चाहिए और पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. छह से आठ महीने के पशु को ब्रुसेला का टीका लगवाना चाहिए.
पशु का बायां पेट फूल जाता है, पेट को थपथपाने पर ढोलक की आवाज आती है.
ये भी पढ़ें-Water Usage: अंडा-दूध, मीट उत्पादन पर खर्च होने वाले पानी ने बढ़ाई परेशानी, जानें कितना होता है खर्च
ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today