European Union Seafood Export अमेरिका से टैरिफ का एक बड़ा झटका मिलने के बाद यूरोपियन यूनियन (EU) से एक अच्छी खबर आई है. खबर ये है कि सीफूड एक्सपोर्ट करने वाली 102 और भारतीय कंपनियों को यूरोपियन यूनियन ने मंजूरी दे दी है. बेशक टैरिफ इश्यू के बाद राहत देने वाली ये एक बड़ी खबर सामने आई है. एक बीते लम्बे वक्त से भारत की ओर से यूरोपियन यूनियन में भारतीय कंपनियों को मंजूरी देने की बात की जा रही थी. लेकिन इस सब के बीच सवाल ये उठ रहा है कि क्या कंपनियों की लिस्ट लम्बी करने से झींगा समेत दूसरे सीफूड प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा.
क्योंकि 450 से ज्यादा कंपनियां तो पहले से ही यूरोपियन यूनियन की लिस्ट में शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर एक्सपर्ट के मुताबिक लिस्ट को बड़ी करने के साथ ही प्रोडक्ट की क्वालिटी सुधारने पर काम किया जाए तो यूरोपीय बाजार से और ज्यादा अच्छे नतीजे सामने आएंगे. क्योंकि अमेरिकी टैरिफ की वजह से भारतीय झींगा अपने बुरे वक्त से गुजर रहा है.
झींगा किसान और एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि इस बात में कोई शक नहीं है कि 102 भारतीय कंपनियों का यूरोपियन यूनियन की लिस्ट में शामिल होना एक बड़ी बात है. ये मौका ऐसे वक्त में मिला है जब सीफूड एक्सपोर्टर अमेरिकी की टैरिफ कूटनीति के चलते परेशान हैं. लेकिन हमे इस बात को भी सोचना होगा कि इस बड़े मौके का बड़ा फायदा हम कैसे उठाएं. क्योंकि 450 से ज्यादा भारतीय कंपनियां तो पहले से ही यूरोपियन यूनियन की लिस्ट में हैं. और उन कंपनियों के होते हुए भी भारत से यूरोपियन यूनियन को करीब 50 हजार टन झींगा भी मुश्किंल से ही जा रहा है. तो 102 कंपनियों से झींगा की कितना मात्रा बढ़ जाएगी. और 450 कंपनियों के होते हुए मात्रा अभी तक क्यों नहीं बढ़ी.
इसलिए अब जरूरत इस बात की है कि हम सिर्फ झींगा ही नहीं सभी सीफूड प्रोडक्ट की क्वालिटी को बढ़ाएं. हम कुछ इस तरह की कोशिश करें कि हमारे प्रोडक्ट यूरोपियन यूनियन के मानकों पर पास हो जाएं. क्योंकि वहां जाने वाला हर तीसरा कंसाइनमेंट चेक होता है. खासतौर पर तीन चीजों को लेकर उनके मानक बहुत ही सख्त है. पहला एंटी बायोटिक फ्री, पेस्टीसाइड फ्री और कोई भी नुकसान पहुंचाने वाला रेसिडुअल प्रोडक्ट में शामिल न हो.
वहीं फीड एसोसिएशन क्लेफमा ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिव्य कुमार गुलाटी का कहना है कि यूरोपियन यूनियन के इस कदम से भारतीय झींगा समेत एक्वाकल्चर सेक्टर को एक नया बड़ा मौका मिलेगा.
ये भी पढ़ें-Water Usage: अंडा-दूध, मीट उत्पादन पर खर्च होने वाले पानी ने बढ़ाई परेशानी, जानें कितना होता है खर्च
ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today