पशुपालन-मुर्गीपालन हो या मछली पालन, अगर तीनों से आप ठीकठाक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उनके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है. हालांकि थोड़ी बहुत जानकारी यहां-वहां गूगल पर पब्लि क डोमेन में मिल जाती है. लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह की जानकारी से पशु और मछली पालन नहीं किया जा सकता है. किसी भी तरह का पशुपालन और मछली पालन करने के लिए जरूरी है कि किसी सरकारी संस्थान से ट्रेनिंग ली जाए. इस तरह की ट्रेनिंग देने के लिए केन्द्र समेत सभी राज्यों की सरकारें जिला से लेकर तहसील स्तर तक पर मछली पालन की ट्रेनिंग दे रही हैं.
क्योंकि अगर आप मछली पालन करने के बारे में भी सोच रहे हैं तो पहले ये जान लेना जरूरी है कि मछली के लिए तालाब कैसा बनवाया जाए, तालाब का पानी कैसा हो. किस तरह के पानी में मछली की कौनसी प्रजाति तेजी से ग्रोथ करेगी. जब तक इस तरह की जानकारी नहीं होगी तो मछली पालन क्या आप पशुपालन में भी मुनाफा नहीं कमा पाएंगे.
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केन्द्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान, काकीनाडा, आंध्रा प्रदेश
केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान साल्टेक,कोलकाता
सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टिट्यूट बैरकपुर, कोलकता
केन्द्रीय मात्सियकी शिक्षा संस्थान, पवारखेड़ा, मध्य प्रदेश
कॉलेज ऑफ फिशरीज पंतनगर, उत्तराखंड
केन्द्रीय मिठाजल जीवनयापन अनुसंधान संस्थान कौशल्यागंगा, (भुवनेश्वर)
बिहार में-
मत्स्य प्रशिक्षण एवं प्रसार केंद्र, मीठापुर पटना
आई.सी.ए.आर. पटना केंद्र
कॉलेज ऑफ़ फिशरीज, ढोली मुजफ्फरपुर
कॉलेज ऑफ़ फिशरीज किशनगंज
यूपी- यूपी के सभी जिलों में संबंधित विभाग द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है.
मछली पालन को बढ़ावा देने और किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद से केन्द्र सरकार ने एक ऐप जारी किया है. ऐप को मत्य् दो दो सेतु नाम दिया गया है. ऐप को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ने तैयार किया है. ऐप में मछली पालकों के लिए मछली पालन से जुड़ी तमाम तरह की तकनीक की जानकारी दी गई है. नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड ने इसके लिए मदद दी है. मछली पालन के संबंध में ऑनलाइन स्टडी एप का मकसद देश के किसानों के बीच मछली पालन में मीठे पानी का इस्तेटमाल करना है. एप की मदद से किसान खुद मछली पालन के बारे में सीख सकेंगे और यह बिल्कुल फ्री होगा.
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