बफैलो (भैंस) का मीट पसंद करने वाले देशों की एक लम्बी फेहरिस्त है. कुछ और भी देश हैं जो भारत से बफैलो मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन कुछ हैल्थ इश्यू के चलते नहीं खरीदते हैं. वहीं दूसरा इश्यू है हलाल का. अगर ये दोनों ही इश्यू दूर कर लिए जाएं तो मीट एक्सपोर्ट का आंकड़ा डबल हो सकता है. क्योंकि मीट एक्सपर्ट के मताबिक इंटरनेशनल बाजार में मीट की डिमांड बढ़ रही है. हालांकि भारत सरकार ने हलाल मीट सर्टिफिकेट के मामले को काफी हद तक आसान कर दिया है.
यही वजह है कि भारत अभी दुनिया के 15 देशों को हलाल बफैलो मीट एक्सपोर्ट कर रहा है. हाल ही में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से सभी 15 देशों की लिस्ट जारी की गई है. जानकारों की मानें तो मीट एक्सपोर्ट को बढ़ा इसलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 तक विश्व में हलाल फूड इंडस्ट्री का कारोबार दो लाख करोड़ डॉलर का था, जो साल 2027 तक चार लाख करोड़ डॉलर का होने की उम्मीद है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी हुई लिस्ट के मुताबिक भारत से बहरीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, मलेशिया, ओमान, फिलीपींस, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात को हलाल मीट एक्सपोर्ट किया जाएगा. भारतीय गुणवत्ता परिषद इसकी निगरानी करेगी. साथ सरकार से मान्यता प्राप्त देश की तीन संस्थाएं लखनऊ का हलाल शरीयत इस्लामिक लॉ बोर्ड (HASIL), मुम्बई का JUHF सर्टिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट इन्हें हलाल मीट होने का सर्टिफिकेट देंगी.
आपको ये जानकर हैरत होगी लेकिन सच ये ही है कि मीट प्रोसेसिंग यूनिट में इस्तेमाल होने वाली मशीनों की टाइमिंग भी हलाल सर्टिफिकेट के नियमों के मुातबिक सेट की जाती है. अगर मशीनों की टाइमिंग हलाल के हिसाब से नहीं है तो उस कंपनी को सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा. इतना ही नहीं कंपनी में जानवर या मुर्गे को हलाल (काटने) करने वाला कर्मचारी मुस्लिम होना जरूरी है.
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