भदावरी भैंस: डेयरी किसानों की पहली पसंद है ये भैंस, 1400 लीटर तक देती है दूध

भदावरी भैंस: डेयरी किसानों की पहली पसंद है ये भैंस, 1400 लीटर तक देती है दूध

डेयरी बिजनेस करने वाले किसानों के लिए भदावरी नस्ल की भैंस काफी लाभकारी साबित हो सकती है. भदावरी नस्ल की भैंस औसतन एक ब्यांत में 1200 से 1400 किलो तक दूध देती है.

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भदावरी भैंस: डेयरी किसानों की पहली पसंद है ये भैंस, 1400 लीटर तक देती है दूधडेयरी किसानों की पहली पसंद है भदावरी भैंस, फोटो साभार: Freepik

देश में कृषि के साथ-साथ पशुपालन हमेशा से किया जाता रहा है. वहीं पिछले कुछ दशकों में देश में पशुपालन व्यवसाय तेजी से बढ़ा है. यही कारण है कि दूध उत्पादन के मामले में दुनियाभर में अव्वल है. देश में ज्यादातर भैंसे ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों द्वारा पाली जाती हैं. वहीं भैंस को मुख्य रूप से दूध उत्पादन और नर भैंसों को कृषि कार्य करवाने के लिए पाला जाता है. अगर आप भी डेयरी बिजनेस शुरू करने की सोच रहे हैं तो भदावरी नस्ल की भैंस का पालन कर सकते हैं. भदावरी नस्ल की भैंस से औसतन एक ब्यांत में 1200 से 1400 किलो तक दूध उत्पादन होता है. ऐसे में आइए इस नस्ल के बारे में विस्तार से जानते हैं- 

भदावरी भैंस की पहचान क्या है?

भदावरी नस्ल की भैंसें आगरा जिले के भदावर गांव में ज्यादातर पाई जाती हैं. इसके अलावा ये भैंस यमुना के चंबल की घाटी में बसे इटावा और ग्वालियर में भी पाई जाती है. इस भैंस की मुख्य पहचान तांबे जैसी लालिमा लिए बदामी रंग है. वहीं, भदावरी भैंस की शरीर का आकार मध्यम, आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है. सींग चपटे, मोटे और पीछे की तरफ मुड़कर ऊपर अंदर की तरफ मुड़े होते हैं. वहीं इसके नर पशुओं का वजन 400 से 500 के किलों तथा मादा पशुओं का वजन 350 से 400 किलो होता है.

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भदावरी भैंस से दूध उत्पादन 

भदावरी भैंसों की प्रथम ब्यांत की उम्र लगभग 50 से 52 महीने की होती है. वहीं, भदावरी नस्ल की भैंसें हर एक ब्यांत में लगभग 1200 से 1400 किलोग्राम तक दूध दे देती हैं. इसके अलावा भदावरी भैंस के दूध से अधिक घी निकलता है. साथ ही इसके दूध में भैंसों में सबसे ज्यादा फैट पाया जाता है जो कि 13 प्रतिशत तक होता है. इसलिए ज्यादातर पशुपालक घी उत्पादन के लिए भैंस की भदावरी नस्ल का पालन करते हैं.

भदावरी भैंस की विशेषताएं

भदावरी भैंस कम संसाधनों में भी आसानी से पाली जा सकती है यानी इसे छोटे या भूमिहीन किसान भी आसानी से पाल सकते हैं. इसके अलावा, भदावरी नस्ल की भैंसें अन्य नस्ल की भैंसों के अपेक्षा अधिक गर्मी सहन कर सकती हैं यानी इनका पालन उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जिन क्षेत्रों में ज्यादा गर्मी पड़ती है. वहीं भदावरी नस्ल के पशु कई बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधी होते हैं. साथ ही इस नस्ल के कटिया (बच्चों) की मृत्यु दर भैसों की अन्य नस्लों के अपेक्षा बहुत कम है.

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