Halal Meat Export भारत का बफैलो (भैंस) का मीट पसंद करने वाले देशों की एक लम्बी-चौड़ी लिस्ट है. बहुत सारे ऐसे देश हैं जो भारत से बफैलो मीट खरीदते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जो बफैलो मीट भारत से खरीदना चाहते हैं, लेकिन कुछ मानकों के चलते खरीद नहीं पाते हैं. इसमे से एक इश्यू हलाल मीट का भी है. इसी को देखते हुए सरकार ने अब मीट को हलाल सर्टिफिकेट देना शुरू कर दिया है. मीट एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सरकार खासतौर पर 15 देशों में मीट एक्सपोर्ट को हलाल सर्टिफिकेट दे रही है. क्योंकि मीट एक्सपर्ट के मताबिक इंटरनेशनल बाजार में मीट की डिमांड बढ़ रही है. शायद इसी के चलते भारत सरकार ने हलाल मीट सर्टिफिकेट के मामले को काफी हद तक आसान कर दिया है.
नए नियम के तहत मीट खरीदने वाले इन 15 देशों में मीट की सप्लाई के साथ ही मीट के हलाल होने का सर्टिफिकेट भी देना होगा. ये सर्टिफिकेट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त देश की कुछ संस्थाएं देंगी. इन्हें भारत अनुरूपता मूल्यांकन योजना (I-CAS) के हलाल से जुड़े मानकों का पालन करना होगा. इस सब की निगरानी भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) करेगी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी हुई लिस्ट के मुताबिक भारत से बहरीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, मलेशिया, ओमान, फिलीपींस, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात को हलाल मीट एक्सपोर्ट किया जाएगा. भारतीय गुणवत्ता परिषद इसकी निगरानी करेगी. साथ सरकार से मान्यता प्राप्त देश की तीन संस्थाएं लखनऊ का हलाल शरीयत इस्लामिक लॉ बोर्ड (HASIL), मुम्बई का JUHF सर्टिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट इन्हें हलाल मीट होने का सर्टिफिकेट देंगी.
आपको ये जानकर हैरत होगी लेकिन सच ये ही है कि मीट प्रोसेसिंग यूनिट में इस्तेमाल होने वाली मशीनों की टाइमिंग भी हलाल सर्टिफिकेट के नियमों के मुातबिक सेट की जाती है. अगर मशीनों की टाइमिंग हलाल के हिसाब से नहीं है तो उस कंपनी को सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा. इतना ही नहीं कंपनी में जानवर या मुर्गे को हलाल (काटने) करने वाला कर्मचारी मुस्लिम होना जरूरी है.
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