Badri Cow: तैयार हो रही है बद्री गायों की कुंडली, लिखे जाएंगे ये 20 गुण, जानें क्यों 

Badri Cow: तैयार हो रही है बद्री गायों की कुंडली, लिखे जाएंगे ये 20 गुण, जानें क्यों 

Record of Badri Cow उत्तराखंड में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत बद्री गाय का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक खास प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. उत्तराखंड कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) इस प्रोजेक्ट में मदद कर रही है. उत्तराखंड के चार जिलों नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में ये खास प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. 

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Badri Cow: तैयार हो रही है बद्री गायों की कुंडली, लिखे जाएंगे ये 20 गुण, जानें क्यों Badri Cow

Record of Badri Cow बद्री नस्ल की गाय का ऐहतिहासिक महत्व है. बद्री के दूध और दूध से बने घी को औषधि‍य गुणों से भरपूर माना जाता है. प्रति बद्री गाय के दूध उत्पादन को और कैसे बढ़ाया जा सकता है. अभी कहां-कहां पर और कौन-कौनसी बद्री गाय ज्यादा दूध दे रही हैं. किन बद्री गायों को नस्ल सुधार की जरूरत है. इन्हीं सब को देखते हुए उत्तराखंड में बद्री गायों की कुंडली तैयार की जा रही है. जानकारों की मानें तो उत्तराखंड के चार जिलों में तीन हजार से ज्यादा बद्री गायों की कुंडली तैयार की जा रही है. कुंडली में बद्री गाय के 20 गुणों को लिखा जाएगा. 

खास बात ये है कि इसी कुंडली के आधार पर रिसर्च होगी. बद्री गाय के बारे में कहा जाता है कि ये हर रोज डेढ़ से दो लीटर तक दूध देती है. बद्री गाय का दूध ए2 मिल्क कहा जाता है. वहीं प्रोटीन की मात्रा भी खूब होती है. इस गाय के दूध को दवाई भी माना जाता है. बद्री गाय की नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में एक खास प्रोजेक्ट शुरू किया गया है.

ऐसे तैयार की जा रही है बद्री गायों की कुंडली 

  • उत्तराखंड के 45 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर पर कुंडली लिखी जा रही है. 
  • कुंडली तैयार करने के लिए सभी बद्री गायों की जियो टैगिंग की गई है. 
  • जियो टैगिंग का डाटा सीधे भारत सरकार को भेजा जाएगा. 
  • उत्तराखंड के चार जिलों की 3240 बद्री गायों पर रिसर्च की जा रही है. 
  • मिल्क रिर्काडिंग का काम ऐसी बद्री गायों पर किया जा रहा है जिनका पूर्व ब्यांत में दूध उत्पादन 3.5 लीटर प्रतिदिन से ज्यादा हो.
  • मिल्क रिर्काडर के लिए ऐसे युवाओं का चयन किया गया है जो स्थानीय, शिक्षित, बेरोजगार हैं. गांवों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार मिल्क रिकार्डर्स की संख्या का निर्धारण किया गया है. 
  • चुने गए गांवों में बद्री गायों की पहचान 12 डिजिट के यूनिक आईडेटिफिकेशन टैग से की जा रही है. पशुपालक और पशु का पंजीकरण इनाफ साफ्टवेयर पर किया जायेगा.
  • एक मिल्क रिकार्डर द्वारा एक दिन में पांच से ज्यादा बद्री गायों की मिल्क रिर्काडिंग नहीं की जा रही है. 
  • मिल्क रिर्काडिंग के लिए चुनी गईं बद्री गाय के ब्याने के पांचवें दिन से 25वें दिन के अन्दर पहली मिल्क रिर्काडिंग का कार्य शुरू किया गया है. उससे ज्यादा वक्त के ब्याय हुए पशुओं में मिल्क रिकार्डिंग का कार्य नहीं किया जा रहा है.
  • गाय की मिल्क रिर्कोडिंग हर महीने एक तय तारीख को सुबह और शाम को हो रही है. यह हर महीने की तय तारीख को दूध दुहान की जगह पर हो रही है. 
  • हर महीने एक-एक मिल्क रिर्काडिंग (सुबह-शाम) की जा रही है. दुग्ध रिकार्डिंग, नियत रिर्काडिंग की तिथि से पांच दिन पूर्व या पांच दिन बाद भी की जा रही है. 
  • हर एक गाय की कम से कम 16 रिर्काडिंग (सुबह-शाम) और अधिकतम 20 रिकार्डिंग (सुबह-शाम) की जा रही हैं. 
  • परियोजना के तहत 20 रिकार्डिंग (सुबह-शाम) या पशु के दूध सूखने तक मिल्क रिर्काडिंग की जा रही है.
  • मिल्क रिर्कोडर को मिल्क रिकार्डिंग का शेड्यूल तैयार कर समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमें पशु का विवरण, रिकार्डिंग का विवरण, पशुपालक का पता, गांव का नाम, मिल्क रिर्काडिंग की तारीख और समय होगा.

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