Calf Care: सर्दियों में तेजी से होगी बछड़ों की ग्रोथ, लेकिन इन तीन बीमारियों पर करना होगा कंट्रोल 

Calf Care: सर्दियों में तेजी से होगी बछड़ों की ग्रोथ, लेकिन इन तीन बीमारियों पर करना होगा कंट्रोल 

Calf Care in Winter पशुपालन में बछड़ों की बात करें तो उनसे जुड़ी तीन बड़ी बीमारियों का डर बना रहता है. ये वो बीमारियां हैं जिस पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बछड़ों की मौत तक हो सकती है. बछड़ों को इन तीन बीमारियों से बचाने के लिए डाक्टरी सलाह के साथ-साथ घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं. 

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Calf Care: सर्दियों में तेजी से होगी बछड़ों की ग्रोथ, लेकिन इन तीन बीमारियों पर करना होगा कंट्रोल Supreme Court rejects plea seeking exclusive use of indigenous cow milk at Tirupati temple, suggests petitioner approach High Court.

Calf Care in Winter किसी भी एनिमल फार्म में बछड़े के जन्म को एक बड़े मुनाफे के तौर पर देखा जाता है. क्योंकि पशुपालक ऐसा मानते हैं कि अगर बछिया हुई तो बड़े होकर दूध देगी और बछड़ा हुआ तो एक से डेढ़ साल की उम्र में उसे बेचकर नकद रकम कमाई जा सकती है. हालांकि एनिमल एक्सपर्ट के मुताबकि बछड़ों को पालकर बड़ा करना कोई आसान काम नहीं है. खासतौर से सर्दियों के मौसम में तो ये और भी मुश्किल काम है. क्योंकि सर्दी में ठंड के चलते पशुओं का तनाव बढ़ जाता है. 

तनाव के चलते ही बछड़ों की ग्रोथ भी रुक जाती है. इतना ही नहीं कुछ ऐसी भी मौसमी बीमारियां हैं जो बछड़ों के लिए जानलेवा तक साबित होती हैं. इसीलिए कहा जाता है कि बछड़ों से मुनाफा कमाना आसान नहीं होता है. इसीलिए जन्म से लेकर करीब छह महीने तक बछड़े की खास देशभाल बहुत जरूरी हो जाती है. ऐसी ही कुछ जानकारी इस खबर में दी जा रही है. 

बछड़ों को सर्दियों में दस्त से होती है ज्यादा परेशानी

सर्दी के मौसम में बछड़ों में अक्सर दस्त होने की परेशानी सामने आती है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो ज्यादा दूध पिलाने के चलते बछड़ों को दस्त लग जाते हैं. इसकी एक बड़ी वजह पेट में कीड़े होना भी है. साथ ही पेट के दूसरे संक्रमण के चलते भी बछड़ों को दस्त हो जाते हैं. इसीलिए पशुपालकों को ये सलाह दी जाती है कि जन्म के फौरन बाद बछड़ों को खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाना चाहिए. जब परेशानी ज्यादा बढ़ने लगे तो डाक्टर की सलाह पर मुंह के रास्ते या इंजेक्शन से एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल दवाई देनी चाहिए. शरीर में पानी की कमी ना हो इसके लिए इलेक्ट्रोलाइट पाउडर पिलाना चाहिए. अगर दस्त के साथ ब्लड भी आने लगे तो फौरन ही डाक्टर को दिखाएं ये कोक्सीडियोसिस बीमारी भी हो सकती है.

निमोनिया से होती हैं ज्यादातर मौत 

ठंड के मौसम में बछड़ों को निमोनिया होने का डर भी लगा रहता है. निमोनिया के चलते बछड़ों को बुखार आने लगता है और सांस लेने में परेशानी होती है. यही परेशानी बछड़ों की मौत की वजह भी बनती है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशु शेड में नियमानुसार हवा आने-जाने के लिए खिड़की का ना होना भी निमोनिया की वजह है. 

जानलेवा हो जाते हैं बुखार के साथ खूनी दस्त 

सर्दियों के दौरान बछड़ों को बुखार के साथ खूनी दस्त लगना एक बड़ी परेशानी है. कई बार तो जरा सी लापरवाही के चलते इसके चलते बछड़ों की मौत तक हो जाती है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी को साल्मोनेलोसिस कहा जाता है. ऐसा होने पर घरेलू उपाय करने के वजाए सीधे डाक्टर को दिखाएं. इस बीमारी के इलाज में अक्सर एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल दवाई दी जाती है. 

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