‘नई पीढ़ी पशुपालन में आना नहीं चाहती है. पढ़-लिखने के बाद उसे पशुपालन में अपना भविष्य नजर नहीं आता है. घर का एक बुजुर्ग कब तक चार-पांच पशुओं के साथ पेशे को बरकरार रख पाएगा. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि पशुपालन में कुछ ऐसा किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी भी पशुपालन में रूचि ले. वो भी पशुपालन को बढ़ाने की कोशिश करें.’ ये कहना है अजमेर मिल्क यूनियन के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी का. हाल ही में पटना में आयोजित डेयरी कांफ्रेंस के दौरान पशुपालकों से जुड़ी उन्होंने 12 मांग उठाईं.
उनका कहना है कि ये मांग पूरी होंगी तो पशुपालक और डेयरी दोनों बचेंगे. इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों को उनके दूध का सही दाम मिले. साथ ही दूध की खपत बढ़ाई जाए. स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के लिए ऐसा सिस्टम तैयार किया जाए कि उसके दाम में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव न आए.
डेयरी कांफ्रेंस में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी वर्षा जोशी भी मौजूद थीं. पशुपालकों और डेयरी संचालकों की बात सुनने के बाद उन्होंने कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालकों और डेयरी संचालकों की हर मांग पर हम उनके साथ हैं, लेकिन शुरुआत राज्यों को करनी होगी. जीएसटी से जुड़ी बात भी राज्यों को रखनी होगी. दूध की लागत कम करने के लिए पशुपालकों को जेनेरिक और एथेनोवेट दवाई पर आना होगा. हरा ही नहीं सभी तरह के चारे पर भी बहुत काम करने की जरूरत है.
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