दुधारू पशुओं के लिए वरदान है 'बरसीम', दूध उत्पादन में होता है चमत्कारी इजाफा

दुधारू पशुओं के लिए वरदान है 'बरसीम', दूध उत्पादन में होता है चमत्कारी इजाफा

सर्दियों में दुधारू पशुओं के लिए बरसीम एक वरदान है. इस हरे चारे को खिलाने से न केवल दूध की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि पशुओं की सेहत भी बेहतर होती है. जानिए बरसीम की खेती और सही तरीके से इसे कैसे खिलाएं ताकि आपके पशुओं का दूध उत्पादन बढ़े और आपके आर्थिक लाभ में भी इजाफा हो.

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दुधारू पशुओं के लिए वरदान है 'बरसीम', दूध उत्पादन में होता है चमत्कारी इजाफादूध उत्पादन बढ़ाएगा ये घास

पशुओं से अच्छा दूध उत्पादन पाने के लिए सिर्फ देखभाल ही नहीं, बल्कि उनके सही खानपान का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. सर्दियों के मौसम में एक खास हरा चारा है जिसे "बरसीम" कहा जाता है, जो दुधारू पशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यह न केवल दूध की मात्रा बढ़ाता है, बल्कि पशु की सेहत को भी बेहतर बनाता है.

बरसीम क्या है?

बरसीम एक दलहनी हरा चारा है, जो सर्दियों में भारी मात्रा में बोया जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो आसानी से पच भी जाता है. इसमें मौजूद प्रोटीन का 75 प्रतिशत भाग पाचन योग्य होता है, जो दुधारू पशुओं के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है.

बरसीम खिलाने से क्या होता है फायदा?

बरसीम एक ऐसा चारा है जिसे पशुओं को दाने के विकल्प के रूप में 60% से 75% तक खिलाया जा सकता है. यह दाने की तरह ही दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है. बरसीम खाने से:

  • दूध की मात्रा बढ़ती है
  • दूध की गुणवत्ता बेहतर होती है
  • पशु स्वस्थ और ऊर्जावान रहते हैं
  • चारे पर खर्च कम होता है

बरसीम की खेती से ज़मीन भी बनती है उपजाऊ

बरसीम की खेती का एक और बड़ा फायदा है कि इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. यानी जो खेत एक बार बरसीम के लिए उपयोग में लाया गया है, उसमें अगली फसलों की उपज भी बेहतर होती है. यह चारा अप्रैल के अंत तक पशुओं के लिए उपलब्ध रहता है.

बरसीम की बुवाई कैसे करें?

डॉ. दिवाकर, कृषि विज्ञान केंद्र सुल्तानपुर के पशु चिकित्सक के अनुसार, बरसीम के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. यह खरीफ की फसल जैसे मक्का, बाजरा या कपास की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में बोया जाता है.

बुवाई की विधि:

  • खेत की 3-4 बार जुताई करें.
  • पाटा चलाकर खेत को समतल बनाएं.
  • डेढ़ लीटर पानी में 200 ग्राम गुड़ घोलें.
  • इस घोल में एक पैकेट कल्चर मिलाएं.
  • बरसीम के बीजों को 5-6 घंटे पहले पानी में भिगो दें.
  • बीजों को पानी से छानकर गुड़ और कल्चर के घोल से भिगोएं.
  • बीजों को छाया में सुखाकर बुवाई करें.

ध्यान दें कि बरसीम की बुवाई का सबसे अच्छा समय सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर तक होता है. धान की खड़ी फसल में भी इसकी छिड़कवा विधि से बुवाई की जा सकती है.

बरसीम से बन सकता है साइलेज

यदि बरसीम आवश्यकता से अधिक मात्रा में हो जाए, तो इसका उपयोग साइलेज बनाने में भी किया जा सकता है. साइलेज एक प्रकार का सड़ा-संरक्षित चारा होता है जो पशुओं को सालभर खिलाया जा सकता है.

सर्दियों में बरसीम न केवल पशुओं की सेहत को सुधारता है, बल्कि दूध उत्पादन में भी चमत्कारी वृद्धि करता है. यह किसानों की आय बढ़ाने और चारे की लागत घटाने में बेहद उपयोगी है. अगर आप भी अपने पशुओं से बेहतर दूध उत्पादन चाहते हैं, तो बरसीम को अपने चारे में जरूर शामिल करें.

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