Feed for Goat Milking खुले में चरना बकरी के स्वाभाव में है. गोट एक्सपर्ट का कहना है कि खुले में चरने पर बकरी तेजी से कम लागत पर बढ़ती (ग्रोथ) है. हालांकि बकरी पल तो खूंटे स्टाल फीड पर भी जाती है, लेकिन फीड में फर्क आ जाता है. अब ये खुला मैदान खेत और जंगल भी हो सकता है या 10-20 एकड़ में फैला गोट फार्म. लेकिन बकरी पालन का एक मानक ऐसा है जो हर जगह लागू होता है. और वो ये है कि बकरी जब गर्भवती यानि बच्चा देने वाली हो या फिर दूध दे रही हो तो उसकी रोजाना की खुराक में बदलाव जरूर कर दें.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियां दूसरे जानवरों की तरह से एक बार में पेट नहीं भरती हैं. थोड़ा-थोड़ा करके दिन में चार से पांच बार खाती हैं. वहीं बकरियों का चारा भी तीन तरह का होता है. हरा चारा, सूखा चारा और दाना. लेकिन इस सब के साथ यह ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है कि बकरी जो खा रही है वो ठीक से हजम हो रहा है या नहीं.
जब बकरी को गर्भवती कराना हो तो उसी के साथ बकरी की खुराक बढ़ा दें. हरा चारा और दाने की मात्रा बढ़ा दें. गर्भवती कराने से दो हफ्ते पहले ही बकरी की सामान्य खुराक 3 किलो दाना प्रतिमाह में 100 से 200 ग्राम दाना और बढ़ा दें. इतना ही नहीं जब बकरी बच्चा देने वाली हो तो उससे एक-दो हफ्ते पहले सामान्य खुराक में दाने की मात्रा 300 से 400 ग्राम तक बढ़ा दें. बकरी को उत्तम किस्म का हरा चारा भी खिलाएं.
दूध देने वाली बकरी को भी ज्यादा खुराक की जरूरत होती है. एक लीटर तक दूध देने वाली बकरी को हर रोज 300 ग्राम तक दाना खिलाना चाहिए. दाना दिन में कम से कम दो बार में दें. साथ ही दिनभर में हरा और सूखा चारा मिलाकर करीब 4 किलो वजन तक खाने को दें. सामान्य मौसम में 20 किलो वजन की बकरी को 700 एमएल तक पानी पिलाना चाहिए. वहीं गर्मी के मौसम में यह मात्रा डेढ़ गुनी कर देनी चाहिए.
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