मक्खन और घी के इंपोर्ट पर व‍िचार कर रही है केंद्र सरकार, जानें क्या है वजह

मक्खन और घी के इंपोर्ट पर व‍िचार कर रही है केंद्र सरकार, जानें क्या है वजह

भारत ने आखिरी बार 2011 में डेयरी उत्पादों का इंपोर्ट किया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में दूध उत्पादन 2021-22 में 6.25 प्रतिशत बढ़कर 221 मिलियन टन हो गया, जो पिछले वर्ष 208 मिलियन टन था, लेक‍िन इस साल दूध उत्पादन में मामूली बढ़ाेत्तरी हुई है.

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मक्खन और घी के इंपोर्ट पर व‍िचार कर रही है केंद्र सरकार, जानें क्या है वजह मक्खन और घी के आयात बढ़ाने पर विचार कर सकता है केंद्र, फोटो साभार: pinterest

दूध के उत्पादन में भारत नए र‍िकॉर्ड स्थाप‍ित कर रहा है. इसके बीच भारत सरकार देश में व‍िदेशों से घी और मक्खन इंपोर्ट की अनुमत‍ि देने पर व‍िचार कर रही है. पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने बीते द‍िनों इस संबंध के संकेत द‍िए हैं. अभी तक जो स्थ‍ित‍ियां स्पष्ट हुई हैं, उसके मुताब‍िक मक्खन और घी के इंपोर्ट में सब्सिडी नहीं होगी. साथ ही ये भी जानकारी सामने आ रही है क‍ि इंपोर्ट क‍िया जाने वाले मक्खन और घी का बिक्री मूल्य घरेलू उत्पादित वस्तुओं की तुलना में कम नहीं होगा. इसके पीछे का कारण ये है क‍ि सरकार किसानों के हित को ध्यान में रखना चाहती है. 

जानकारी के मुताब‍िक राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा मक्खन और घी इंपोर्ट क‍िया जाएगा, ज‍िसे सहकारी समितियां अपने माध्यम से बेचेंगी.आइए जानते हैं क‍ि केंद्र सरकार ये फैसला क्यों लेने जा रही है. भारत ने आखिरी बार 2011 में डेयरी उत्पादों का आयात किया था.  

दूध के उत्पादन में स्थ‍िरता और बढ़ी मांग 

भारत में दूध उत्पादन में स्थि‍रता आई है. इस बीच आशंका है क‍ि देश में 8 से 10 प्रतिशत घी और मक्खन की मांग बढ़ सकती है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार घरेलू आपूर्ति में सुधार के लिए बिना किसी सब्सिडी के सीमित मात्रा में मक्खन और घी जैसे कुछ डेयरी प्रोडक्ट के आयात की अनुमति देने पर विचार कर रही है. असल में दुग्ध उत्पादन या तो स्थिर रहा है या 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में 1 से 2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि महामारी के बाद के स्वास्थ्य कारणों के कारण घरेलू मांग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पूरे दुग्ध क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली सहकारी समितियों ने उत्पादन में 1 से 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि निजी और असंगठित क्षेत्रों के आंकड़े स्थिर उत्पादन की ओर इशारा कर रहे हैं.

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लंपी वायरस का दिख रहा असर

मवेशियों पर लंपी वायरस के प्रभाव को इस हद तक महसूस किया जा सकता है कि कुल दूध उत्पादन थोड़ी स्थिरता है. आम तौर पर दुग्ध उत्पादन सालाना 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा था. हालांकि, इस वर्ष 2022-23 में यह या तो स्थिर रहेगा या 1 से 2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, सिंह ने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि फसल क्षेत्र पिछले 4 प्रतिशत कृषि क्षेत्र पर स्थिर बना हुआ है.  

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