बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है. इसे देखते हुए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद (Wheat Procurement) को लेकर क्वालिटी में ढील दी गई है. अब हरियाणा सरकार ने भी ऐसी ही पहल की है. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान खरीदे जा रहे गेहूं की गुणवत्ता मानदंडों में छूट प्रदान करने के लिए पत्र लिखा है. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल 2023 से हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं की खरीद शुरू हो गई है. मार्च, 2023 में कटाई से ठीक पहले बारिश और ओलावृष्टि शुरू हो गई थी. जिसने हरियाणा में खड़ी फसलों को चौपट कर दिया है.
चौटाला ने कहा कि भारी बारिश के कारण गेहूं की फसल की चमक खराब होने के संबंध में प्रमुख खरीद जिलों कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, सिरसा, जींद और यमुनानगर से रिपोर्ट ली गई है. बार-बार होने वाली बारिश और ओलावृष्टि होने से उत्पादन कम हो सकता है और अनाज की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. इस बात को ध्यान मे रखते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री को रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान खरीदे जा रहे गेहूं के गुणवत्ता मानदंडों में छूट प्रदान करने के लिए पत्र लिखा है.
इसे भी पढ़ें: Success Story: भारत ने कृषि क्षेत्र में कैसे लिखी तरक्की की इबारत?
योगी सरकार ने कम गुणवत्ता वाली उपज को भी एमएसपी पर खरीदने की पहल कर किसानों की चिंता को दूर करने का प्रयास किया है. उन्होंने उपज की खरीद के नियमों में ढील देने का आदेश दिया है. ऐसी ही कोशिश मध्य प्रदेश में भी की गई है. ये सभी राज्य गेहूं के प्रमुख उत्पादक हैं. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, अगर गेहूं की चमक में क्षति 10 फीसद से कम हो तो उसके लिए कीमतों में कोई कटौती नहीं की जाएगी.
अगर गेहूं की चमक में क्षति 10 से लेकर 80 परसेंट के बीच हो तो एमएसपी में एक परसेंट से लेकर 25 परसेंट तक की कटौती की जाएगी. इसका मतलब यह है कि अगर गेहूं 10 परसेंट से अधिक खराब हो तो एक क्विंटल उपज पर किसान को एमएसपी से 5.31 रुपये कम मिलेंगे. यानी मामूली कटौती के साथ खरीद होगी.
एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद का कुछ खास नियम होता है जिसमें नेचुरल साइज, आकार, रंग और चमक का पैमाना शामिल होता है. इन सभी पैमाने पर गेहूं की सरकारी खरीद होती है. खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि जिस गेहूं की खरीद की जानी है, वह साफ, भरे-पूरे दाने वाला, बिना दुर्गंध और जहरीले खर-पतवार से मुक्त होना चाहिए.
नियम के मुताबिक, एवरेज क्वालिटी वाले गेहूं में दूसरे अनाज की मात्रा दो परसेंट, हल्के टूटे अनाज की मात्रा चार परसेंट, अधिक टूटे अनाज की मात्रा छह परसेंट और नमी की मात्रा 12 परसेंट से अधिक नहीं होनी चाहिए.
कमोडिटी रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए 341.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. लेकिन, इसे पूरा कर पाना आसान नहीं है. क्योंकि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उत्पादन कम होगा और गुणवत्ता में गिरावट आएगी. ऐसे में गुणवत्ता के मानकों में थोड़ी ढील दिए बिना खरीद संभव नहीं है.
पिछले साल किसान एमएसपी पर गेहूं नहीं बेच रहे थे और सरकार अधिक से अधिक खरीद करना चाहती थी. ऐसे में केंद्र ने हरियाणा, पंजाब के किसानों को फायदा देने के लिए खराब क्वालिटी का भी गेहूं खरीदने का फैसला किया. सरकार ने 18 प्रतिशत तक सूखे, मुरझाए हुए और टूटे हुए अनाजों की खरीद की अनुमति दी थी. एफसीआई ने इसके लिए दाम में कोई कटौती नहीं की थी. जबकि सामान्य तौर पर गेहूं में अधिकतम टूट सीमा 6 प्रतिशत तय होती है.
ये भी पढ़ें: PMFBY: फसल बीमा योजना में अप्लाई कंडीशन से यूं ही नहीं परेशान हैं किसान
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today