Muzaffarnagri Sheep: भेड़ के मीट कारोबार में आप भी कमाना चाहते हैं मुनाफा तो पाले ये नस्ल

Muzaffarnagri Sheep: भेड़ के मीट कारोबार में आप भी कमाना चाहते हैं मुनाफा तो पाले ये नस्ल

Muzaffarnagri Sheep Meat भेड़ की पहचान ऊन से की जाती है. लेकिन ऐसा नहीं है. भेड़ की एक खास नस्ल जो खासी पुरानी भी है को सिर्फ मीट के लिए ही पाला जाता है. 44 तरह की नस्ल के बीच यह एक ऐसी नस्ल की भेड़ है जिसका वजन भी सबसे ज्यादा होता है. इसके शरीर पर ऊन होती तो है लेकिन उसकी क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं होती है कि वो गलीचा बनाने में काम आ सके. 

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Muzaffarnagri Sheep: भेड़ के मीट कारोबार में आप भी कमाना चाहते हैं मुनाफा तो पाले ये नस्लमुजफ्फरनगरी भेड़ का पालन मीट के लिए किया जाता है. फोटो क्रेडिट-किसान तक

Muzaffarnagri Sheep Meat देश और विदेश दोनों ही जगह भेड़ के मीट की डिमांड बढ़ती ही जा रही है. भारत में तो डिमांड इतनी हो गई है कि ऑस्ट्रेलिया से हम लैम्ब मीट इंपोर्ट कर रहे हैं. देश में मीट की सबसे ज्यादा खपत दक्षि‍ण भारत और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख आदि जगहों में खूब हो रही है. जम्मू-कश्मीर तो अपनी करीब 50 फीसद डिमांड दूसरे राज्यों से भेड़ लाकर पूरी कर रहा है. अगर भेड़ के मीट बाजार में आप भी मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं और आप यूपी से ताल्लुक रखते हैं तो ये खबर खासतौर पर आपके लिए हैं.

शीप एक्सपर्ट की मानें तो यूपी की एक खास भेड़ की नस्ल पालकर आप भी हर महीने अच्छी कमाई कर सकते हैं. इस भेड़ की खासियत ये है कि अगर इसे अच्छी खुराक दी जाए तो इसका वजन 100 किलो तक हो जाता है. इस भेड़ को दूध और ऊन नहीं सिर्फ मीट के लिए ही पाला जाता है. इस भेड़ को मुजफ्फरनगरी के नाम से जाना जाता है. 

चार राज्यों में बहुत पसंद की जाती है मुजफ्फरनगरी

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थारन (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास का कहना है कि मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट में चिकनाई (वसा) बहुत होती है. जिसके चलते हमारे देश के ठंडे इलाके हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट को बहुत पसंद किया जाता है. इसके अलावा आंध्रा प्रदेश में, क्योंकि वहां बिरयानी का चलन काफी है तो चिकने मीट के लिए भी इसी भेड़ के मीट की डिमांड रहती है. जानकार बताते हैं कि चिकने मीट की बिरयानी अच्छी बनती है. 

भेड़ों की दूसरी 43 नस्ल से अलग है मुजफ्फरनगरी 

डॉ. गोपाल दास बताते हैं कि राजस्थान में बड़ी संख्या में भेड़ पाली जाती हैं. लेकिन वहां पलने वाली भेड़ और मुजफ्फरनगरी भेड़ में खासा फर्क है. दूसरी नस्ल की जो भेड़ हैं उनकी ऊन बहुत अच्छी होती है. जबकि मुजफ्फरनगरी भेड़ की ऊन रफ होती है. जैसे ऊन के रेशे की मोटाई 30 माइक्रोन होनी चाहिए. जबकि मुजफ्फरनगरी के ऊन के रेशे की मोटाई 40 माइक्रोन है. गलीचे के लिए भी कोई बहुत बढ़िया ऊन नहीं मानी जाती है.  

प्योर मुजफ्फरनगरी भेड़ की ये है पहचान 

डॉ. गोपाल दास ने बताया कि अगर आप मुजफ्फरनगरी भेड़ खरीद रहे हैं तो उसकी पहचान कुछ खास तरीकों से की जा सकती है. देखने में इसका रंग एकदम सफेद होता है. पूंछ लम्बी होती है. 10 फीसद मामलों में तो इसकी पूंछ जमीन को छूती है. कान लम्बे होते हैं. नाक देखने में रोमन होती है. मुजफ्फरनगर के अलावा बिजनौर, मेरठ और उससे लगे इलाकों में खासतौर पर पाई जाती है. 

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