ठंड में मछलियों का ऐसे रखें ध्यानFish Care ठंडे पानी का असर मछलियों पर भी होता है. मछलियों की ग्रोथ धीमी हो जाती है और बीमारी भी लग जाती है. आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा मजाक है, 24 घंटे पानी में रहने वाली मछलियां ठंडे पानी से कैसे परेशान हो सकती हैं. लेकिन ये 100 फीसद सच है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो तालाब में पलने वाली मछलियां भी ठंडे पानी से बीमार होती हैं. मछलियां तनाव में आ जाती हैं. मछलियां ठंड से बचने के लिए तालाब में अपनी रहने की जगह बदल लेती हैं. क्योंकि ठंड का सीधा असर तालाब के पानी में घुलनशील आक्सीजन पर भी पड़ता है. पानी की ठंड बढ़ते ही आक्सीजन भी कम हो जाती हैं. मछलियों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
कई बार तो कम आक्सीजन के चलते मछलियां मरने भी लगती हैं. क्योंकि नदी, समुद्र और झील का पानी चलता हुआ होता है, इसलिए दिसम्बर-जनवरी में भी इनका पानी सामान्य रहता है. लेकिन तालाब का रुका हुआ पानी जल्दी ठंडा हो जाता है. जिसके चलते मछलियां परेशानी में आकर बीमार तक हो जाती हैं. ऐसे में मछली पालक तालाब में कई तरह की दवाईयों का छिड़काव भी करते हैं.
फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि असल में होता ये है कि तालाब का पानी रुका हुआ होता है, जिसके चलते सर्दी के मौसम में यह जल्दी ठंडा हो जाता है. ज्यादातर तालाब खुले में होते हैं तो पानी ठंडा हो जाता है. ठंडे पानी से मछलियों को परेशानी होने लगती है. ऐसे में सुबह-शाम मछलियों को पम्प की मदद से अंडर ग्राउंड वाटर से नहलाया जाता है. जमीन से निकला पानी गुनगुना होता है. इसलिए तालाब के ठंडे पानी में मिलकर यह पूरे पानी को सामान्य कर देता है. दिसम्बर से जनवरी के दौरान जब भी ऐसा लगता है कि तालाब का पानी कुछ ज्यादा ही ठंडा हो रहा है तो उसमे जमीन से निकला पानी मिला दिया जाता है. लेकिन बड़े तालाब में जमीन से निकला पानी मिलाना आसान नहीं होता है. इसलिए बड़े तालाबों में जाल डालकर उस पानी में उथल-पुथल कर काफी हद तक सामान्य कर दिया जाता है.
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