Stray Animal छुट्टा जानवरों से परेशान किसान यूपी में कहीं-कहीं एक नारा लगाते हैं. वो नारा कुछ इस तरह है कि ‘खेती कर लेंगे बुलंद, आवारा पशु करो बंद’ इस एक नारे से यूपी ही नहीं छुट्टा जानवरों से परेशान किसानों के दर्द को समझा जा सकता है. क्योंकि कहीं किसान जंगली सूअर, बंदर से परेशान हैं तो कहीं छुट्टा गायों और सांड से. लेकिन किसान अगर इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश की सलाह मानकर एक खास किस्म का फूल अपने खेतों के किनारे लगाते हैं तो जंगली सूअर हो या गाय कोई भी खेत के अंदर नहीं घुसेगा.
आईएचबीटी के साइंटिस्ट का कहना है कि कुछ फूल और घास ऐसे हैं जिसकी खुशबू से फसलों को बर्बाद करने वाले जानवर पास नहीं आते हैं. इस फूल और घास की खेती बिना किसी परेशानी के पहाड़ी और मैदानी दोनों ही तरह के इलाकों में की जा सकती है. एक फर्क बस ये आ जाता है कि पहाड़ी इलाके में उगे फूल या घास थोड़े महंगे बिकते हैं, जबकि मैदानी इलाके में उगे फूल-घास सस्ते बिकते हैं.
आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि आजकल ये परेशानी बहुत देखने और सुनने में आ रही है कि जंगली और छुट्टा जानवर फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. कई दफा तो खेत में लगी पूरी फसल को ही बर्बाद कर देते हैं. कुछ मामलों में तो ऐसा भी हुआ है कि किसानों ने खेत के चारों और तारों की बाड़ लगाई हुई है, बावजूद इसके जानवर खेत में घुसकर फसल को चट कर जाते हैं. अगर आपके खेतों में और आसपास जानवरों का प्रकोप है तो खासतौर पर व्हाइट मैरी गोल्ड फूल के पौधे अपने खेतों के चारों ओर हैज के रूप में लगा सकते हैं. इसके अलावा सिट्रोनेला और लेमन ग्रास भी किनारे-किनारे हैज की तरह से लगा सकते हैं. होता ये है कि इनमें मौजूद तेल में एक खास तरह की सुगंध होती है. इसी सुगंध के चलते कोई भी जानवर खेत के पास तक नहीं आता है. और किसी भी तरह का जानवर हो वो इन्हें खाता नहीं है.
डॉ. राकेश ने बताया कि अगर किसी इलाके में जानवर फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें रोकने का कोई भी तरीका काम नहीं कर रहा है तो ऐसे में आप व्हाइट मैरी गोल्ड फूल, लेमन ग्रास और सिट्रोनेला ग्रास की खेती भी कर सकते हैं. इसके अलावा और भी कुछ ऐसी सुगंधित फसलों की खेती है जो आप अपने इलाके में कर सकते हैं. इन्हें हैज के रूप में इस्तेमाल करने से मिट्टी का कटान भी रुकता है. अगर व्हाइट मैरी गोल्ड फूल की बात करें तो मैदानी इलाके में इसकी बिजाई रवी के सीजन में होती है. जबकि पहाड़ी इलाकों में इसकी बिजाई खरीफ यानि जून में होती है.
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