Lumpy Disease: कहीं दूर भी फैल रही है लंपी बीमारी तो अपने यहां भी अपनाएं ये उपाय  

Lumpy Disease: कहीं दूर भी फैल रही है लंपी बीमारी तो अपने यहां भी अपनाएं ये उपाय  

Lumpy Skin Disease लंपी का कैप्री पॉक्स वायरस मच्छर और मक्खिरयों की मदद से तेजी से फैलता है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि जब हमारे आसपास कहीं लंपी बीमारी फैल रही हो तो हम अपने पशुओं के बाड़े में कुछ जरूरी उपाय अपनाना शुरू कर दें. और अगर लंपी से किसी पशु की मौत हो भी जाए तो उसके शव का ठीक तरह से निपटान कर दें. 

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Lumpy Disease: कहीं दूर भी फैल रही है लंपी बीमारी तो अपने यहां भी अपनाएं ये उपाय  एक बार फिर बढ़ रहा लंपी रोग का खतरा

Lumpy Skin Disease लंपी बीमारी खासतौर पर गायों के बीच फैलती है. ये एक जानलेवा बीमारी है. ये स्किन और गांठदार बीमारी है. ये संक्रमण वाली बीमारी है. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ गायों को ही होती है, भैंसों में भी ये बीमारी फैलती है. इस बीमारी की असल वजह कैप्री पॉक्स वायरस है. अभी देश के कई हिस्सों में लंपी बीमारी पैर पसार रही है. बिहार और यूपी में इसके हजारों मामले सामने आ चुके हैं. वहीं नई जानकारी के मुताबिक जोधपुर, राजस्थान में भी लंपी की चपेट में गाय आना शुरू हो गई हैं. राजस्थान से सटे हरियाणा के गांवों में भी लंपी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. नोएडा से सटे चरखी-दादरी में भी लंपी के केस सामने आ रहे हैं. 

इस बीमारी की प्रमुख वजह एक्सपर्ट की मानें तो लंपी का वायरस मच्छर और मक्खी के जरिए पशुओं में फैलता है. इसलिए पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि जब भी आसपास कहीं लंपी बीमारी फैलने लगे तो अपने पशुओं के बाड़े में खासतौर से मच्छर और मक्खि यों को कंट्रोल करना शुरू कर दें. पशुओं पर दवाई का स्प्रे करें. 

ये हैं लंपी बीमारी फैलने की बड़ी वजह  

पीडि़त पशु के संपर्क में मच्छर, काटने वाली मक्खी, जूं, चींचड़े और मक्खियों के आने से.
लंपी बीमारी पीडि़त पशु की लार, गांठों में पड़े मवाद, जख्म से, संक्रमित चारे और पानी से भी हेल्दी पशु में फैल सकता है.  
पीडि़त पशुओं के संपर्क में आने वाले इंसानों के इधर-उधर आने-जाने से भी लंपी बीमारी फैलती है. 

पशुओं को लंपी बीमारी से बचाने को करें ये उपाय 

  • एनिमल शेड में मच्छर, काटने वाली मक्खी, जू, चींचड़े और मक्खियों को कंट्रोल करें. 
  • पशुओं के संपर्क में आने वाले बाहरी परजीवियों को रोकने के लिए डॉक्टर की से परजीवी नाशक दवाई का इस्तेमाल करें. 
  • एनिमल शेड के अंदर और उसके आस-पास साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया जाए. 
  • एनिमल शेड के आसपास पानी, मल-मूत्र और गंदगी जमा न होने दें. 
  • एनिमल शेड में बाहरी व्यक्ति‍यों और वाहनों के आने-जाने पर रोक लगाएं. 
  • पशु लंपी से पीडि़त हो तो उसे फौरन ही हेल्दी पशुओं से अलग कर दें. 
  • अगर जरूरत न हो तो पशुओं को बाहर खुला न छोड़ें. 
  • लंपी पीडि़त पशुओं को चराई के लिए चारागाह या बाहर ना छोड़ें.
  • पीडि़त पशु को एनिमल शेड से एकदम अलग रखें और किसी भी हाल में बाहर न जानें दें. 
  • जिस क्षेत्र में लंपी बीमारी फैली हो तो वहां पशुओं का आवागमन न करें.
  • पीडि़त पशु की देखभाल करते वक्त बायो सिक्योरिटी का पालन करें. 
  • पीडि़त पशु की देखभाल करने वाले इंसान को हेल्दी पशुओं के आसपास न जानें दें.
  • एनिमल शेड के एंट्री गेट पर चूने की दो फुट चौड़ी पट्टी बनाएं. 
  • लंपी से संक्रमित परिसर, वाहन को सोडियम हाईपोक्लोराईट के दो फीसद घोल से सेनेटाइज करें. 
  • पशु का इलाज  कराने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में न आएं; 
  • पीडि़त पशु का दूध इस्तेमाल करने से पहले कम से कम दो मिनट उबाल लें. 
  • पीडि़त पशु को संतुलित आहार, हरा चारा, दलिया, गुड़, बांटा आदि खिलायें.

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