Calf Care in Winter: बदलते मौसम में बछड़ों को होती हैं तीन बड़ी परेशानियां, ये उपाय अपनाकर कर सकते हैं रोकथाम

Calf Care in Winter: बदलते मौसम में बछड़ों को होती हैं तीन बड़ी परेशानियां, ये उपाय अपनाकर कर सकते हैं रोकथाम

Calf Care in Winter पशुपालन में बछड़ों का बहुत अहम रोल है. बछड़ा अगर मेल है तो फायदा कराएगा और अगर फीमेल है तब भी मोटा मुनाफा कराएगा. लेकिन जन्म से लेकर करीब छह महीने तक बछड़े की खास देशभाल बहुत जरूरी हो जाती है. इस देखभाल के लिए कुछ खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. 

Advertisement
बदलते मौसम में बछड़ों को होती हैं तीन बड़ी परेशानियां, ये उपाय अपनाकर कर सकते हैं रोकथामगाय को भी बनाया जा सकेगा सरोगेट मदर

Calf Care in Winter किसी पशुपालक के यहां बछड़ा पैदा हो और वो अगर बछिया है तो फिर ये उसके लिए दोहरी खुशी होती है. क्योंकि पशुपालन में दूध ही नहीं जन्म लेने वाला बछड़ा भी मुनाफा कराता है. लेकिन मुनाफा भी तब होता है जब बछड़ा कम से कम एक साल का हो जाए. क्योंकि बछड़े के जन्म लेने के बाद करीब छह महीने उसके लिए बहुत जोखि‍म भरे होते हैं. कई तरह की बीमारियां और संक्रमण उसे अपनी चपेट में ले लेते हैं. साथ ही खासतौर पर तीन ऐसी बीमारी हैं जो इस बदलते मौसम में बछड़ों पर जरूर अटैक करती हैं. 

क्योंकि सर्दी के मौसम में पशुओं को कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है. ठंड के चलते पशुओं का तनाव भी बढ़ जाता है. ये वो बीमारियां हैं जिस पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बछड़ों की मौत तक हो सकती है. बछड़ों को इन तीन बीमारियों से बचाने के लिए डाक्टरी सलाह के साथ-साथ घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं. 

दस्त की परेशानी से बचाना है जरूरी

सर्दी के मौसम में बछड़ों में अक्सर दस्त होने की परेशानी सामने आती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो ज्यादा दूध पिलाने के चलते बछड़ों को दस्त लग जाते हैं. इसकी एक बड़ी वजह पेट में कीड़े होना भी है. साथ ही पेट के दूसरे संक्रमण के चलते भी बछड़ों को दस्त हो जाते हैं. इसीलिए पशुपालकों को ये सलाह दी जाती है कि जन्म के फौरन बाद बछड़ों को खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाना चाहिए. जब परेशानी ज्यादा बढ़ने लगे तो डाक्टर की सलाह पर मुंह के रास्ते या इंजेक्शन से एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल दवाई देनी चाहिए. अगर दस्त के साथ ब्लड भी आने लगे तो फौरन ही डाक्टर को दिखाएं ये कोक्सीडियोसिस बीमारी भी हो सकती है.

सर्दियों में अक्सर होती है निमोनिया की शि‍कायत 

ठंड के मौसम में बछड़ों को निमोनिया होने का डर भी लगा रहता है. निमोनिया के चलते बछड़ों को बुखार आने लगता है और सांस लेने में परेशानी होती है. यही परेशानी बछड़ों की मौत की वजह भी बनती है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशु शेड में नियमानुसार हवा आने-जाने के लिए खिड़की का ना होना भी निमोनिया की वजह है. 

बुखार के साथ हो सकते हैं खूनी दस्त 

सर्दियों के दौरान बछड़ों को बुखार के साथ खूनी दस्त लगना एक बड़ी परेशानी है. कई बार तो जरा सी लापरवाही के चलते इसके चलते बछड़ों की मौत तक हो जाती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी को साल्मोनेलोसिस कहा जाता है. ऐसा होने पर घरेलू उपाय करने के वजाए सीधे डाक्टर को दिखाएं. इस बीमारी के इलाज में अक्सर एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल दवाई दी जाती है. 

ये भी पढ़ें-Water Usage: अंडा-दूध, मीट उत्पादन पर खर्च होने वाले पानी ने बढ़ाई परेशानी, जानें कितना होता है खर्च

ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...

POST A COMMENT