Fish Care in Winter तालाब में पलने वाली मछलियां भी बीमार होती हैं. उन्हें भी ठंड लगती है. पानी ठंडा हो तो परेशान होने लगती हैं. सांस लेने में परेशानी होने लगती है. परेशान होकर तालाब में अपने रहने की जगह बदल देती हैं. खतरनाक रूप से बीमार पड़ जाती हैं. लाल धब्बे वाली बीमारी हो जाती है. सर्दियों के दौरान मछलियां कमजोर हो जाती हैं. उनकी पाचन क्रिनया ठीक से काम नहीं करती है. उनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि फिशरीज एक्सपर्ट मछली पालकों को बदलते मौसम में तालाब के पानी की जांच करते रहने की सलाह देते हैं. खासतौर पर सुबह और देर शाम के वक्त पानी का तापमान जरूर जांचना चाहिए. क्योंकि बदलते मौसम में अक्टूबर से लेकर फरवरी तक तालाब के रखरखाव में जरा सी भी लापरवाही हुई तो मछलियां जोखिम में आ जाती हैं.
कई बार तो एक साथ सैकड़ों मछलियों की मौत होने लगती है. सर्दी के मौसम में मछलियों की खास देखभाल इसलिए भी जरूरी हो जाती है कि नदी, समुंद्र और झील का पानी चलता हुआ होता है, इसलिए दिसम्बर-जनवरी में भी इनका पानी सामान्य रहता है. लेकिन तालाब का रुका हुआ पानी जल्दी ठंडा हो जाता है. ऐसे में मछली पालक तालाब में कई तरह की दवाईयों का छिड़काव भी करते हैं.
फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब का पानी रुका हुआ होता है, जिसके चलते सर्दी के मौसम में यह जल्दी ठंडा हो जाता है. ज्यादातर तालाब खुले में होते हैं तो पानी ठंडा हो जाता है. ठंडे पानी से मछलियों को परेशानी होने लगती है. ऐसे में सुबह-शाम मछलियों को पम्प की मदद से अंडर ग्राउंड वाटर से नहलाया जाता है. जमीन से निकला पानी गुनगुना होता है. इसलिए तालाब के ठंडे पानी में मिलकर यह पूरे पानी को सामान्य कर देता है. लेकिन बड़े तालाब में जमीन से निकला पानी मिलाना आसान नहीं होता है. इसलिए बड़े तालाबों में जाल डालकर उस पानी में उथल-पुथल कर काफी हद तक सामान्य कर दिया जाता है.
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