Milk Production: बड़े काम की है NDRI की ये रिसर्च, मां के मुकाबले 300 लीटर ज्यादा दूध देगी बछिया 

Milk Production: बड़े काम की है NDRI की ये रिसर्च, मां के मुकाबले 300 लीटर ज्यादा दूध देगी बछिया 

Milk Production बछिया हेल्दी हो, जल्दी बीमारियों की चपेट में न आए और ज्यादा से ज्यादा दूध दे. ऐसी बछिया पैदा कराने के लिए पशुपालक प्रोजनी टेस्टेट बुल का सीमन इस्तेमाल करते हैं. लेकिन नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) ने जीनोमिक चयन रिसर्च की मदद से 10 ऐसे बुल तैयार किए हैं जिनसे पैदा होने वाली बछिया मां से ज्यादा दूध देगी. 

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Milk Production: बड़े काम की है NDRI की ये रिसर्च, मां के मुकाबले 300 लीटर ज्यादा दूध देगी बछिया देसी नस्ल की गायों का प्रतीकात्मक फोटो.

Milk Production जिस काम के लिए अभी तक सात से आठ साल का लम्बा इंतजार किया जाता है, वो काम अब सिर्फ दो से तीन महीने में ही हो जाएगा. और ये सब मुमकिन हुआ है नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल की रिसर्च से. रिसर्च की मदद से बछड़े के जन्म के साथ ही ये पता चल जाएगा कि इसके सीमन से पैदा होने वाली बछिया कितना दूध देगी. ये रिसर्च जीनोमिक चयन से जुड़ी हुई है. NDRI की इस रिसर्च को पशु नस्ल सुधार के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. 

हालांकि अभी तक इन सब बातों का पता लगाने के लिए पीटी बुल तैयार किए जाते थे. सात-आठ साल तक पीटी बुल की निगरानी की जाती है. इतना सब होने के बाद एक्सपर्ट बता पाते हैं कि पीटी बुल से पैदा होने वाली बछिया का रिकॉर्ड कैसा होगा. 

पैदा होने वाले नर बछड़े की होती है टेस्टिंग 

NDRI के डायरेक्टर डॉ. धीर सिंह के मुताबिक जीनोमिक चयन रिसर्च गायों की साहीवाल नस्ल पर की गई है. रिसर्च के तहत साहीवाल गाय से पैदा होने वाले नर बछड़े की जांच की जाती है. ये जांच दो से तीन महीने में पूरी होती है. इसके तहत ये देखा जाता है कि इसका अनुवांशि‍क रिकॉर्ड कैसा होगा. इस सब के दौरान ही ये पता चल जाता है कि ये नर बछड़ा जब आगे जाकर बुल बनेगा तो इसके सीमन से पैदा होने वाली बछिया का दूध उत्पादन कितना होगा. जीनोम और ब्रीडिंग डिपार्टमेंट ने इसमे ये कामयाबी हासिल की है कि पैदा होने वाली बछिया अपनी मां से 300 लीटर तक ज्यादा दूध देगी. जैसे मां ने एक ब्यांत में 4700 लीटर दूध दिया है तो बछिया पांच हजार लीटर दूध देगी. 

NDRI ने तैयार किए हैं 10 बुल

जैसे पीटी बुल तैयार किए जाते हैं, उसी तरह से जीनोम चयन आधारित बुल तैयार किए गए हैं. NDRI ने इस रिसर्च की मदद से ऐसे 10 बुल तैयार किए हैं. अब इनके सीमन से पैदा होने वालीं बछिया अपनी मां से ज्यादा ही दूध देंगी. लेकिन इसके लिए ये भी जरूरी होगा कि बछिया की देखभाल अच्छी हो, अच्छा खाने को दिया जाए. वैक्सीनेशन कराया जाए. जानकारों की मानें तो NDRI अपने यहां तैयार हुए सभी 10 बुल का सीमन नस्ल सुधार के लिए किसानों को देगा. जानकारों का कहना है कि इस रिसर्च के बाद पशुपालकों को बुल पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होगी. अगर फार्म पर पांच नर बछड़े हैं तो साइंटिस्ट सभी पांच बछड़ों की जांच करने के बाद ये बता देंगे कि किस बछड़े के बुल बनने के बाद उसके सीमन से पैदा होने वाली बछिया कितना दूध देगी. जिस बुल की बछिया से ज्यादा दूध मिलेगा उसे तो पाला जा सकता है. बाकी बचे चार बछड़ों पर फिर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होगी.  

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