Goat-Sheep: भेड़-बकरियां खेत में चरने जा रही हैं तो हो जाएं अलर्ट, लापरवाह हुए तो जा सकती है जान  

Goat-Sheep: भेड़-बकरियां खेत में चरने जा रही हैं तो हो जाएं अलर्ट, लापरवाह हुए तो जा सकती है जान  

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि खासतौर पर यूपी-राजस्थान में भेड़-बकरियों को फड़किया नाम की बीमारी होती है. ये बीमारी एंटरोटॉक्सिमिया नाम के बैक्टीरिया से होती है. इस बीमारी का इलाज सिर्फ टीका है. जो भेड़-बकरी ठीक हैं उन्हें तो हम टीका लगा सकते हैं, लेकिन भेड़-बकरी के बीमार होने पर ये टीका भी काम नहीं करता है. 

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Goat-Sheep: भेड़-बकरियां खेत में चरने जा रही हैं तो हो जाएं अलर्ट, लापरवाह हुए तो जा सकती है जान  खुले मैदान में चरतीं भेड़. फोटो क्रेडिट-किसान तक

गोट फार्म की बात छोड़ दें तो बकरियां ज्यादातर खुले मैदान या खेत में चरने के लिए जाती हैं. अगर इस वक्त की बात करें तो खेतों में गेहूं, चना और सरसों समेत कई तरह की दालों की कटाई हो रही है. ज्यादातर जगहों पर कटाई पूरी हो चुकी है. खेत खाली पड़े हुए हैं. अगर आपकी भेड़-बकरियां भी हर रोज खेत में चरने जाती हैं तो अलर्ट हो जाएं. खेत में चरने के लिए जाने वाले भेड़-बकरियों के झुंड पर पूरी नजर रखें. क्योंकि इस दौरान अगर आपने जरा सी भी लापरवाही बरती तो आपकी भेड़-बकरियों को गंभीर बीमारी हो सकती है. 

कई बार तो इस बीमारी के चलते बड़ी संख्या में भेड़-बकरियों की मौत तक हो जाती है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी की वजह ओवर ईटिंग है. खेत में मौका मिलते ही भेड़-बकरियां जरूरत से ज्यादा खा लेती हैं. क्योंकि जब खेत में गेहू-सरसों और चने की कटाई होती है तो अनाज के दाने खेत में भी रह जाते हैं. गर्मियों में ज्यादा भूख के चलते इसी अनाज को भेड़-बकरी खा लेते हैं. 

ये हैं एंटरोटॉक्सिमिया बीमारी के लक्षण  

इस बीमारी की बात करें तो पहले भेड़-बकरी को दस्त होते हैं. फिर एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन दो ही दिन बाद अचानक से भेड़-बकरी में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वो ठीक से चल भी नहीं पाती हैं. चलने की कोशिश करती हैं तो लड़खड़ा कर गिर जाती हैं. फिर से उसे एक-दो दस्त आते हैं. लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है. इसके बाद उस पशु की मौत हो जाती है. और यह सब होता है पशु की आंत में अचानक से पनप उठे एक बैक्टीरिया के कारण.

ज्यादा खाने से आंतों में पैदा होता है बैक्टीरिया

एनिमल एक्सपर्ट कि मानें तो ये वो मौसम होता है जब खेतों में फसल कट चुकी होती है और खेत खाली पड़े होते हैं. ऐसे में भेड़ों के झुंड खेतों में चरने के लिए चले जाते हैं. वहां यह खेत में जमीन पर पड़े हुए अनाज को खाती हैं. एक तो इन्हें अनाज खाने को मिलता है दूसरे मौसम भी ऐसा है तो यह ज्यादा खा जाती हैं. ज्यादा खाने के चलते ही इनकी आंतों में एंटरोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीमरिया पनपने लगता है. इसी के चलते ही भेड़ों को दस्त लगते हैं. दो साल पहले भी जैसलमेर में इसी बैक्टीरिया के चलते भेड़ों की मौत हुई थी. 

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