Poultry Feed: पोल्ट्री सेक्टर में भारत के लिए क्यों चुनौती बन सकते हैं चार पड़ोसी देश, जानें वजह Poultry Feed: पोल्ट्री सेक्टर में भारत के लिए क्यों चुनौती बन सकते हैं चार पड़ोसी देश, जानें वजह
Poultry Feed Maize and Soybean रिकी थापर का कहना है, ‘फीड की परेशानी को दूर करने के लिए जरूरी है कि सरकार जीएम मक्का और सोयाबीन आयात करने की अनुमति दे. भारत के पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में आयात की अनुमति है.’ इसी को देखते हुए पोल्ट्री एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आने वाले वक्त में ये देश भारत के लिए चुनौती बन सकते हैं.
मक्के के कीमत में भारी गिरावटनासिर हुसैन - New Delhi,
- Jul 21, 2025,
- Updated Jul 21, 2025, 11:36 AM IST
Poultry Feed Maize and Soybean भारत अंडा उत्पादन (Egg Production) में विश्व में दूसरे और चिकन उत्पादन (Chicken Production) में छठे नंबर पर है. अच्छी बात ये है कि पोल्ट्री सेक्टर हर साल आठ से 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) के ज्वाइंट सेक्रेटरी रिकी थापर ने किसान तक (Kisan Tak ) को बताया कि देश में भी खूब अंडा और चिकन खाया जा रहा है. लेकिन अब पोल्ट्री के सामने फीड एक बड़ा संकट बनता जा रहा है. फीड का महंगा होना और अच्छे फीड की कमी ने पोल्ट्री फार्मर की परेशानी को बढ़ा दिया है. इसकी बड़ी वजह मक्का और सोयाबीन है. पोल्ट्री में मक्का और सोयाबीन की जितनी डिमांड है उतना उन्हें नहीं मिल पा रहा है.
कितना बड़ा है भारत का पोल्ट्री सेक्टर?
- भारत में प्रति व्यक्ति सालाना औसत 7.4 किलो मीट और अंडे की 103 अंडे खाता है.
- डिमांड के चलते ही अंडा उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे और चिकन में छठे स्थान पर पहुंच गया है.
- बीते साल देश में अंडा देने वाली मुर्गियों की संख्या करीब 30 करोड़ थी.
- चिकन के लिए पाली गईं मुर्गे-मुर्गियों की संख्या 500 करोड़ थी.
- देश में ब्रीडर मुर्गे-मुर्गियों की संख्या 45 करोड़ और बैकयार्ड में तीन करोड़ है.
- बीते साल पोल्ट्री सेक्टर में 3.20 करोड़ टन पोल्ट्री फीड की खपत हुई थी.
पोल्ट्री सेक्टर से क्या हैं उम्मीदें?
- भारत की आबादी 140 करोड़ है और हर साल बढ़ रही है.
- बड़े पैमाने पर सरकार का ध्यान फूड सिक्योरिटी पर है.
- देश के बहुत सारे लोग खाने पर ठीक ठाक रकम खर्च कर रहे हैं.
- अब ज्यादातर समुदाय के घरों में अंडे-चिकन को एंट्री मिल चुकी है.
- साल 2025-26 में अंडे देने वाली मुर्गियों की अनुमानित संख्या 32.7 करोड़ हो सकती है.
- चिकन के लिए पाली जाने वालीं मुर्गियों और मुर्गों की अनुमानित संख्या ब्रॉयलर की 550 करोड़ हो सकती है.
- साल 2025-26 में में पोल्ट्री फीड के लिए 2.35 करोड़ टन मक्का और 73 लाख टन सोयाबीन मील जरूरत होगी.
फीड में शामिल मक्का की कितनी जरूरत होगी?
- सभी तरह के फीड में मक्का की अहम हिस्सेदारी है.
- साल 2030-31 में मक्का की हिस्सेदारी एक बड़े नंबर में बदल जाएगी.
- पोल्ट्री सेक्टर को करीब चार करोड़ टन मक्का की जरूरत होगी.
- डेयरी सेक्टर को करीब 73 लाख टन मक्का की जरूरत होगी.
- इथेनॉल बनाने के लिए एक करोड़, 70 लाख टन मक्का की जरूरत होगी.
- स्टार्च इंडस्ट्री को एक करोड़ से ज्यादा मक्का की जरूरत होगी.
- 2025-26 में मक्का की कुल डिमांड 5.20 करोड़ टन है.
- साल 2030-31 में मक्का की कुल डिमांड करीब आठ करोड़ टन पहुंच जाएगी.
- साल 2025-26 में मक्का का कुल उत्पादन 3.60 करोड़ टन होने का अनुमान है.
- साल 2030-31 में मक्का का कुल उत्पादन 4.90 करोड़ टन होने का अनुमान है.
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निष्कर्ष-
पोल्ट्री फीड में सबसे ज्यादा करीब 70 फीसद मक्का इस्तेमाल होती है. मक्का से ही अंडे और चिकन में क्वालिटी आती है और ग्रोथ होती है.लेकिन अब इथेनॉल में भी मक्का का इस्तेमाल होने के बाद से मक्का की डिमांड और रेट दोनों ही बढ़ गए हैं.