‘भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. अभी हमने बीते साल 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया है. अब हमारा लक्ष्य साल 2030 में दूध उत्पादन को 30 करोड़ टन तक पहुंचाने का है. जिस तरह मोदी सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) योजना से हम दूध के इस आंकड़े पर पहुंचे हैं, उसी तरह 2030 में भी 30 करोड़ टन के आंकड़े को छू लेंगे. साल 2014 से अब तक आरजीएम की बदौलत दूध उत्पादन में 63.5 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.’ ये कहना है केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह का. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये आंकड़े सदन में रखे हैं.
वहीं उनका ये भी कहना है कि उम्मीद है कि आने वाले तीन साल में इस योजना के चलते दूध उत्पादन में 15 फीसद की बढ़ोतरी हो जाएगी. देश में आज करीब 10 करोड़ लोग दूध उत्पादन के काम में लगे हुए हैं. अच्छी और गर्व की बात ये है कि इसमे से 75 फीसद महिलाएं हैं. आज हमारे देश में प्रति व्यक्ति के हिस्से में 471 ग्राम दूध आ रहा है.
केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन का कहना है कि आरजीएम योजना का मकसद देशी नस्लों का विकास और संरक्षण, गोजातीय आबादी का आनुवंशिक विकास, गोजातीय पशुओं दूध उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी करना है. ऐसा करके किसानों के लिए दूध उत्पादन को फायदेमंद बनाया जा सकता है. आरजीएम साल 2014 में शुरू की गई योजना है. साल 2021-2022 से 2025-2026 तक के लिए इसे संशोधित कर दिया गया है.
योजना के तहत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए टिकाऊ तरीके से गोजातीय पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना और दूध उत्पादन बढ़ाने का काम चल रहा है. प्रजनन के मकसद से उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांड भी तैयार किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं प्रजनन नेटवर्क को मजबूत करके किसानों के घर पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान कर कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाना है. साथ ही देशी गायों तथा भैंसों के पालन को बढ़ावा भी दिया जा रहा है.
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