शहरों में अब दो मंज‍िला स्पेशल मकानों में बकरी पालना हाेगा आसान, जानें पूरी ड‍िटेल

शहरों में अब दो मंज‍िला स्पेशल मकानों में बकरी पालना हाेगा आसान, जानें पूरी ड‍िटेल

दो मंजिला मकान के इस मॉडल में बकरी की मेंगनी सीधे मिट्टी के संपर्क में नहीं आती है. जिससे मेंगनी पर मिट्टी नहीं लगती है और उसकी खाद बनाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है.  

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शहरों में अब दो मंज‍िला स्पेशल मकानों में बकरी पालना हाेगा आसान, जानें पूरी ड‍िटेल सीआईआरजी, मथुरा द्वारा बकरियों के लिए बनाया गया घर.

बकरी पालन को फायदे का सौदा माना जाता है. गांवों में बड़े पैमाने पर बकरी पालन क‍िया जाता है, लेक‍िन शहरों में बकरी पालन को एक चुनौती के तौर पर समझा जाता है. ज‍िसमें बकरी पालन के ल‍िए जमीन ना होना सबसे बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में शहर के लोग चाह कर भी बकरी नहीं पाल पाते हैं. ऐसे लाेगों के ल‍िए खुशखबरी है. अगर आपके पास जगह की कमी है. तो इसमे परेशान होने वाली बात नहीं है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने बकरी पालन में जगह की कमी को दूर करने के लिए दो मंजिला मकान बनाया है. एक बार बनाने के बाद 18 से 20 साल तक यह मकान चल जाता है. खास बात यह है कि इस मकान के दोहरे फायदे हैं. एक तो इससे जगह की कमी पूरी हो जाती है. वहीं बकरी के बच्चे तमाम तरह की बीमारियों से भी बच जाते हैं.  

बकरियों के लिए बनने वाले प्लास्टिक के इस दो मंजिला मकान में ऊपरी मंजिल की मेंगनी और बच्चों का यूरिन नीचे बड़ी बकरियों पर न गिरे इसके लिए बीच में प्लास्टिक की एक शीट भी लगाई जाती है. शीट की इस छत का ढलान इस तरह से दिया जाता है कि यूरिन और मेंगनी मकान के किनारे की ओर गिरती हैं. 

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दो मंजिल के मकान में नीचे बड़ी बकरी और ऊपर रहते हैं बच्चे

सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने किसान तक को बताया कि बेशक दो मंजिला मकान से जगह की कमी और बचत होती है, लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी के बच्चे बीमारियों से बच जाते हैं. वो बीमारियां जिन पर अच्छी खासी रकम खर्च हो जाती है. इस तरह के मकान में नीचे बड़ी बकरियां रखी जाती हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर छोटे बच्चे रखे जाते हैं. ऊपरी मंजिल पर रहने के चलते बच्चे मिट्टी के संपर्क में नहीं आ पाते हैं तो इससे वो मिट्टी खाने से बच जाते हैं. वर्ना छोटे बच्चे मिट्टी खाते हैं तो इससे उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं. 

दूसरा पहलू यह भी है कि बकरियों के शेड में बहुत सारा चारा जमीन पर गिर जाता है. जिसके चलते चारे पर बकरी का यूरिन और मेंगनी (मैन्योर) भी लग जाता है. बकरी या उनके बच्चे जब इस चारे को खाते हैं तो इससे भी वो बीमार पड़ जाते हैं. इतना ही नहीं अगर जमीन कच्ची नहीं है तो यूरिन से उठने वाली गैस से भी बकरी और उनके बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. 

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1.80 लाख रुपये में तैयार हो जाता है दो मंजिला मकान 

डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि एक बड़ी बकरी को डेढ़ स्वायर मीटर जगह की जरूरत होती है. हमने दो मंजिला मकान का जो मॉडल बनाया है वो 10 मीटर चौड़ा और 15 मीटर लम्बा है. इस मॉडल मकान में नीचे 10 से 12 बड़ी बकरी रख सकते हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर 17 से 18 बकरी के बच्चों को बड़ी ही आसानी से रख सकते हैं. और इस साइज के मकान की लागत 1.80 लाख रुपये आती है. इस मकान को बनाने में इस्तेमाल होने वाली लोहे की एंगिल और प्लास्टिक की शीट बाजार में आसानी से मिल जाती है. रहा सवाल ऊपरी मंजिल पर बनाए गए फर्श का तो कई कंपनियां इस तरह का फर्श बना रही हैं, जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं.  

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