कुछ जलवायु परिवर्तन का असर तो कुछ घटती चारागाह की जमीन की वजह से हरा चारा एक बड़ी परेशानी बनता जा रहा है. मौसम कोई भी हो, चार की कमी और उसका महंगा होना पशुपालक की लागत को बढ़ा रहा है. सिर्फ बरसात का ही एक ऐसा मौसम है जब हरा चारा खूब होता है, ऐसे में घास भी उग आती है. लेकिन फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक बरसात के दिनों में उगे हरे चारे को काटकर सीधे पशुओं को नहीं खिलाया जा सकता है. क्योंकि बरसात के हरे चारे में नमी की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए उसे थोड़ा सुखाने के बाद ही पशुओं को खाने के लिए दे सकते हैं.
लेकिन बरसात के दिनों में हरे चारे को सुखाना भी एक बड़ा काम होता है. लेकिन फोडर एक्सपर्ट की सलाह है कि आने वाले जून महीने में हरे चारे की तीन-चार फसल आने वाली हैं. इन फसलों को काटकर साइलेज बनाकर स्टोर किया जा सकता है. और इस महीने स्टोर किया गया चारा बरसात और सर्दियों के मौसम में खूब काम आएगा. जबकि बरसात वाले चारे को साइलेज बनाकर आगे के लिए स्टोर किया जा सकता है.
साइंटिस्ट और फोडर एक्सपर्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ का कहना है कि घर पर भी हरे चारे से साइलेज बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. लेकिन जरूरत है बस थोड़ी सी जागरुकता के साथ कुछ सावधानी बरती जाए. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है. चारा एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले जून में ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का चारे की चार फसल आएंगी. इस हरे चारे को खिलाने के साथ ही इसे स्टोर भी किया जा सकता है.
डॉ. आरिफ का कहना है कि जब चारे का तना टूटने लगे तो इसके बाद उसे अच्छी तरह से पैक करके इस तरह से रख दें कि चारे को बाहर की हवा न लगे. ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का पतले तने वाली चारे की फसल हैं. इन्हें आसानी से सुखाकर साइलेज की शक्ल में स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.
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