फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) अब सिर्फ शहरों में ही नहीं गांव-गांव जाकर भी खाने-पीने की चीजों के सैम्पल लेकर जांच कर रही है. वो भी हफ्ते या महीने में एक-दो बार नहीं 24 घंटे उन इलाकों में घूमते हुए. और ये सब मुमकिन हो रहा है "फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स" (FSW) की बदौलत. जानकारों की मानें तो एफएसडब्ल्यू FSSAI की वाहन पर चलती-फिरती लैब है. 25 मार्च को केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने ये जानकारी लोकसभा में उठे एक सवाल के जवाब में दी है. मंत्रालय का कहना है कि एफएसडब्ल्यू की मौजूदा वक्त में देश के 35 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में 285 यूनिट दौड़ रही हैं.
ये हाईटेक यूनिट हैं. अगर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की जांच की बात करें तो उसके लिए एफएसडब्ल्यू यूनिट में मिल्क-ओ-स्क्रीन उपकरण हैं, जो वसा, एसएनएफ, प्रोटीन और मिलावटी पानी, यूरिया, सुक्रोज, माल्टोडेक्सट्रिन और अमोनियम सल्फेट जैसे प्रमुख गुणवत्ता मापदंडों की मौके पर जांच करते हैं. इसके साथ ही FSW दूसरे फूड प्रोडक्ट की बुनियादी मिलावट जांचने में भी सक्षम है.
लोकसभा में जानकारी देते हुए मंत्रालय ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के नियमों के तहत खाद्य व्यवसाय संचालक (FBO) के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. खासतौर से वो संचालक जो कच्चे माल की खरीद से लेकर उपभोक्ताओं तक तैयार माल की डिलीवरी करते हैं. ऐसे संचालकों को फूड प्रोडक्ट की ट्रेसेबिलिटी तय करनी होगी. फूड से जुड़ी पारदर्शिता, जवाबदेही और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए संचालकों को आपूर्ति श्रृंखला में उचित रिकॉर्ड और दस्तावेज रखने होंगे. निरीक्षण और ऑडिट के दौरान जरूरत पड़ने पर ये दस्तावेज पेश करने होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो उल्लंघन के मामले में उचित नियामक कार्रवाई की जा सकती है.
लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के अंतर्गत दूध और दूध से बने प्रोडक्ट के लिए मानक स्थापित किए हैं. मानकों का अनुपालन तय कराने के लिए पूरे देश में डेयरी सहकारी समितियों समेत सभी खाद्य व्यवसाय संचालन (FBO) पर समान रूप से लागू होते हैं. नए मानक विकसित करते समय या मौजूदा मानकों में संशोधन करते समय, FSSAI आम जनता और हितधारकों से प्रतिक्रिया और सुझाव मांगने के लिए मसौदा अधिसूचनाएं जारी करता है. डेयरी सहकारी समितियों से इनपुट सहित प्राप्त फीडबैक की मानक-निर्धारण प्रक्रिया के दौरान गहन समीक्षा और विचार किया जाता है.
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