Animal Care: बाढ़-बरसात में गायों को हो ये बीमारी तो घर पर ही ऐसे करें इलाज, पढ़ें डिटेल 

Animal Care: बाढ़-बरसात में गायों को हो ये बीमारी तो घर पर ही ऐसे करें इलाज, पढ़ें डिटेल 

Animal Disease Care बरसात और बाढ़ के बाद गायों में होने वाली बीमारियों को न के बराबर के खर्च पर ठीक कर सकते हैं. इलाज में शामिल बहुत सारी चीजें तो ऐसी होती हैं जो घर पर ही मिल जाती हैं. लेकिन सतर्क रहने की बात ये है कि इन आम बीमारियों की अनदेखी गंभीर बीमारी का रूप तो ले ही लेती है, साथ में पशु की शारीरिक विकास और दूध उत्पानदन पर भी बड़ा असर डालती है.

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Animal Care: बाढ़-बरसात में गायों को हो ये बीमारी तो घर पर ही ऐसे करें इलाज, पढ़ें डिटेल इस गौशाला में गायों की कुंडली बनाई जाती है

Animal Disease Care बरसात के बाद और बाढ़ा का पानी उतरने के बाद कई तरह का संक्रमण फैलता है. इस संक्रमण से इंसान ही नहीं पशु भी प्रभावित होते हैं. खासतौर पर इस संक्रमण से दुधारू पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी और उनके छोटे बच्चे जल्दी चपेट में आते हैं. एनिमल एक्सपर्ट चेतावनी देते हुए बताते हैं कि ऐसे वक्त में छोटी सी लापरवाही भी बड़ी परेशानी बन जाती है. यही परेशानियां बड़ी बीमारियों का रूप ले लेती हैं. ये वो बीमारियां होती हैं जिन्हें पहले से ही कुछ उपाय अपनाकर रोका जा सकता है या फिर बीमारी हो जाए तो फिर पशुपालक डॉक्टरों के चक्कर लगाता है. 

लेकिन थोड़ी सी जागरुकता से पशुपालक इन बीमारियों का इलाज घर पर भी कर सकते हैं. खासतौर से गायों में होने वाली कुछ ऐसी ही आम बीमारियों का इलाज घर पर कैसे किया जाए ये इस खबर में आपको बता रहे हैं. बीमारियों को दूर भगाने के ये वो उपाय हैं जिन्हें रोजमर्रा के काम में शामिल कर लिया जाए तो पशु बीमार नहीं होंगे. 

जूं और किलनी का होना

गाय के जूं और किलनी होने के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गाय के शरीर पर स्प्रे करें. या फिर एक कपड़े को नीम के पानी में डालकर कपड़े से पशु को धोना चाहिए. इस उपाय को कई दिन लगातार करने से गाय की जूं और किलनी की परेशानी दूर हो जाती है. 

दस्त और मरोड़

गाय को दस्त और मरोड़ होने पर वो पतला गोबर करने लगती है. डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी पशु को इस तरह की परेशानी तब होती है जब पशु के पेट में ठंड लग जाए. अगर ऐसा होता है तो इस दौरान गाय को हल्का आहार देना चाहिए जैसे चावल का माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गुदा आदि. वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए.

निमोनिया

किसी भी पशु को निमोनिया बहुत परेशान करता है. डॉक्टनरों की मानें तो पानी में बहुत ज्यादा देर तक भीगने की वजह से निमोनिया होता है. निमोनिया होने पर गाय का तापमान बढ़ जाता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और उसकी नाक बहने लगती है. गाय में ये लक्षण दिखने पर उबलते पानी में तारपीन का तेल डालकर उसकी भांप पशु को सुंघानी चाहिए. इसके साथ ही पशु के पंजार में सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए. गाय को सर्दी के मौसम में निमोनिया से बचाने के लिए उसके शेड में गर्मी करनी चाहिए.

चोट या घाव में कीड़े 

चोट या घाव में कीड़े पड़ने से कोई भी पशु बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करता है. जब भी पशु के शरीर पर कोई भी चोट या घाव देखें तो फौरन ही उसकी गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर सफाई करनी चाहिए. घाव में अगर कीड़े हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु के उस हिस्से पर बांध देनी चाहिए. मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से धोना चाहिए. लेकिन साथ ही साथ घाव से जुड़े उपाय जानने के लिए डॉक्टर से से संपर्क जरूर करना चाहिए.

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