Green Fodder: बकरियों का दूध और बकरों की ग्रोथ बढ़ाने का ये है चारा फार्मूला, पढ़ें डिटेल 

Green Fodder: बकरियों का दूध और बकरों की ग्रोथ बढ़ाने का ये है चारा फार्मूला, पढ़ें डिटेल 

सुबह से शाम तक पशुओं को दिए जाने वाले हरे चारे में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स  कैसे शामिल किए जाएं. किस हरे चारे के साथ कौनसा हरा चारा मिलाकर खिलाया जाए जिससे पशुओं को जरूरत की सभी चीजें मिल जाएं.

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Green Fodder: बकरियों का दूध और बकरों की ग्रोथ बढ़ाने का ये है चारा फार्मूला, पढ़ें डिटेल Goat farm opened in Agra

बकरे-बकरी का पालन दूध से ज्यादा मीट के लिए होता है. यही वजह है कि आज ज्यादातर लोग बकरियों के ब्रीडिंग फार्म ज्यादा चला रहे हैं. हालांकि अब बीते कुछ वक्त से बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ने लगी है. आनलाइन बकरी का दूध बेचने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन आज भी बकरी पालन में सबसे बड़ा कारोबार मीट का ही है. यही वजह है कि बकरी पालक छोटा या बड़ा सबकी कोशि‍श ये होती है कि कैसे भी बकरी का दूध उत्पादन बढ़ जाए और बक‍रे-बकरियों की ग्रोथ तेजी से होने लगे.

गोट एक्सपर्ट की मानें तो इसके लिए जरूरी है कि बकरे-बकरियों की खुराक में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स की जरूरत को पूरा किया जाए. इसे बैलेंस्ड डाइट भी कहा जाता है. बकरी का बच्चा हो या बड़ा बकरा, सभी को बैलेंस्ड डाइट की जरूरत होती है. हालांकि कुछ लोग बकरियों को सिर्फ एक ही तरह का हरा चारा लगातार खि‍लाते हैं, लेकिन ये तरीका एकदम गलत है. अगर आप दो-तीन तरह के हरे चारे मिक्स का बकरियों को खि‍लाते हैं तो ऐसा करने से भी बैलेंस्ड डाइट की जरूरत पूरी हो जाती है. 

घास के साथ जरूरी है दलहनी चारा 

फोडर एक्सपर्ट डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि नेपियर घास बहुवर्षीय चारे में शामिल है. बहुवर्षिय चारा वो होता है जो एक बार लगाने के बाद लम्बे वक्त तक होता है. जैसे नेपियर घास. एक बार नेपियर घास लगाने के बाद करीब पांच साल तक लगातार आप इससे चारा ले सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि पशुओं को सिर्फ एक ही तरह के हरे चारे पर नहीं रखना चाहिए. जैसे अगर नेपियर घास दे रहे हैं तो उसके साथ दलहनी चारा भी उगा लें. जैसे सितम्बर में नेपियर घास के साथ लोबिया लगाया जा सकता है. मतलब नेपियर के साथ सीजन के हिसाब से दूसरा हरा चारा लगा सकते हैं.  

अब जब भी आप अपने पशु को नेपियर घास खाने के लिए दें तो उसके साथ उसे दलहनी चारा जरूर दें. नेपियर घास में अगर कर्बोहाइड्रेड है तो लोबिया में प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स शामिल हैं. और इसी तरह की खुराक भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस उन्हें इसकी जरूरत होती है. इसे खाने के बाद पशु से दूध ज्यादा मिलता है तो उनके वजन में भी बढ़ोतरी होती है और मीट का स्वाद बढ़ता है.

पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं.

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