पशु है कुछ भी खिला दो सब हजम हो जाएगा. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि ये सोच गलत है. सड़क पर छुट्टा घूमने वाला पशु हो या डेयरी फार्म में पलने वाला, उस सब कुछ नहीं खिलाया जा सकता है. जैसे बासी बचा हुआ खाना इंसानों को बीमार कर देता है तो उसी तरह पशु भी उससे प्रभावित होते हैं. बासी न होने पर कई बार कोई बचा हुआ खाना जरूरत से ज्यादा खिला देने से भी पशुओं की हालत बिगड़ जाती है. कभी-कभी तो उनकी जान जोखिम में आ जाती है. सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है कार्बोहाइड्रेट. पशु के शरीर में अगर इसकी मात्रा ज्यादा हो जाए तो उसे एसिडिटी हो जाती है.
पशु को जब कार्बोहाइड्रेट वाला खाना जैसे चावल-गेहूं, बाजरा, आलू ज्यादा मात्रा में खाने को दे दिए जाते हैं तो एसिडिटी होना तय है. रसोईघर का बचा हुआ बासी खाना खाने पर भी ये परेशानी हो जाती है. पशु को अगर ये परेशानी हो जाए तो इसके लक्षण बहुत ही साफ होते हैं. जैसे पशु की भूख कम हो जाती है, आफरा आता है, पेट में पानी भर जाता है, निर्जलीकरण अर्थात पानी की कमी हो जाती है और शरीर का तापमान कम हो जाता है, कब्ज-दस्त हो सकते हैं, पशु दांत भी किटकिटाने लगता है.
12 से 24 घंटे तक पानी नहीं पीने देना चाहिए.
सोडियम बाई कार्बोनेट पाउडर 150 से 200 ग्राम मुंह से देना चाहिए.
पशु को आफरा है तो तारपीन का तेल 50 से 60 एम एल दे सकते हैं.
कई बार पशु किसी भी वजह से यूरिया या जेर खा लेता है. इसे खाने के बाद पशु को क्षारीय अपच की शिकायत होने लगती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो प्रोटीन वाला चारा ज्यादा खा लेने की वजह से भी पशु को इस तरह की परेशानी हो सकती है.
पशु को भूख नहीं लगना, मुंह से लार गिरना, पेट दर्द होना, चक्कर में दौरे आना, अत्यधिक उत्तेजित हो जाना आफरा आना, मुंह से अमोनिया जैसी बदबू आना.
क्षारीय वातावरण हल्का अम्लीय करना है इसके लिए एसिटिक अम्ल अर्थात सिरका मुंह से देना चाहिए.
पशु को मुंह से गुड़ अथवा ग्लूकोज भी दिया जा सकता है.
इस परेशानी में पशु को नींबू का रस भी दिया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- Dairy: विदु ने 50 गाय पालकर दूध से कमाए 49 लाख और गोबर से 44 लाख, जानें कैसे
ये भी पढ़ें- Goat Farm: देश के सबसे बड़े बकरी फार्म का हुआ उद्घाटन, मंत्री बोले पीएम का सपना हो रहा सच
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today