AI के लिए सीमेन चाहिए तो ब्रीडर सांड की ऐसे करनी होगी देखभाल, पढ़ें डिटेल
देश में प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने और गाय-भैंस की नस्ल सुधारने के लिए प्राकृतिक गर्भाधान (AI) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए ब्रीडर सांड तैयार किए जा रहे हैं. खानपान से लेकर देखभाल तक पर ध्यान दिया जा रहा है. इतना ही नहीं पशुओं को तमाम तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है.
बेशक भारत दूध उत्पादन के मामले में विश्व में नंबर वन है. बीते साल देश में 23 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था. अच्छी बात ये भी है कि देश में दूध उत्पादन बढ़ने की दर भी विश्व की कुल दर से बहुत ज्यादा है. लेकिन एक हकीकत ये भी है कि देश में दूध देने वाले पशुओं की संख्या ज्यादा है जिसके चलते भारत दूध उत्पादन में अपना परचम लहरा रहा है. जबकि प्रति पशु दूध उत्पादन बहुत कम है. जबकि दूसरे देशों में प्रति पशु दूध उत्पादन ज्यादा है. इसी कमी को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार प्राकृतिक गर्भाधान (AI) को बढ़ावा दे रही है.
एआई की मदद से ही पशु नस्ल सुधार पर भी काम किया जा रहा है. एआई के लिए सीमेन भी अच्छा मिले इसलिए हर नस्ल के ब्रीडर सांड तैयार किए जा रहे हैं.सांड के खानपान और रहन-सहन से संबंधित एडवाइजरी जारी की जाती हैं. यहां तक की गाय-भैंस को प्राकृतिक तरीके से गाभिन कराने के लिए भी ब्रीडर सांड कैसा हो इसके लिए गाइड लाइन बनाई गई है.