पीएम नरेन्द्र मोदी का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने पर हमारा पूरा फोकस है. हमारी सरकार चाहती है कि आज किसान ऊर्जा उत्पादक और उर्वरक आपूर्तिकर्ता बने. इतना ही नहीं कृषि में टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को खोजना भी हमारी वरीयता में शामिल है. यही वजह है कि हम किसानों को सौर पंप देने के साथ कृषि परिसर में छोटे पैमाने पर सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए सहायता भी दे रहे हैं. किसानों को जैविक उर्वरक बनाने में मदद करना भी हमारा मकसद है. यही वजह है कि हमने गोबर धन योजना शुरू की है.
इसके लिए हम गोबर धन योजना के तहत पशुपालकों से गाय का गोबर खरीदने की योजना शुरू करने जा रहे हैं. इस योजना से बिजली उत्पादन के लिए बायोगैस का उत्पादन होगा. खेतों के लिए मेटेरियल भी मिलेगा. इसका एक कामयाब उदाहरण हमारे सामने बनासकांठा में अमूल का बायोगैस प्लांट है. पीएम मोदी ने हाल ही में अमूल डेयरी को चलाने वाली संस्थात जीसीएमएमएफ के गोल्डन जुबली समारोह के मौके पर गुजरात में किसानों के लिए ये बड़ी बात कही थी.
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पीएम मोदी ने बनासकांठा के जिस बायो प्लांट का उदाहरण है वहां बनास डेयरी की मदद से तीन प्लांट चल रहे हैं. इतना ही नहीं सुजुकी कंपनी की मदद से 50 और नए प्लांट लगाने की योजना पर काम चल रहा है. जो तीन प्लांट अभी चल रहे हैं उसमे बनास गोवर्धन प्रोम 50 और पांच किलो, बनास गोवर्धन सेंद्रिया खातर 50 किलो और बनास कृषि संजीवनी एक लीटर पांच लीटर और 25 लीटर हैं. बनास डेरी की गोवर्धन योजना के तहत गोबर को सोने में बदलने के लिए गोबर पर आधारित 50 ऐसे बायो सीएनजी संयंत्र लगाने की योजना है. बनास डेयरी ने रिटेल पैक में जीवाणु कल्चर का उत्पादन करने के लिए एक जैव किण्वक सुविधा स्थापित की है, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का उत्पादन करने के साथ ही अन्य रासायनिक और जैव उर्वरकों की तरह मिट्टी में काम करेगी.
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बनास डेयरी ने एनडीडीबी और सस्टेन प्लस के सहयोग से गोबर से हाइड्रोजन गैस उत्पादन का परीक्षण शुरू कर दिया है. यह परीक्षण ज्यादा किफायती दर पर ग्रीन हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करने का नया रास्ता खोलेगा. इसका दूसरा फायदा यह है कि यह परियोजना सिर्फ हाइड्रोजन गैस का उत्पन्न ही नहीं करती है, बल्कि कार्बन ब्लैक का भी उत्पादन करती है. ये कार्बन का सबसे नया रूप है. इसका उपयोग खेती में मिट्टी के जैविक कार्बन सामग्री को बढ़ाने के लिए किया जाता है. पायरोलिसिस तकनीक का इस्तेकमाल करके हम प्योर बायोगैस को हाइड्रोजन और कार्बन दोनों में बदल सकते हैं. खास बात यह है कि उत्पादन लागत बहुत ही कम है और ये हाइड्रोजन उत्पादन करने का सबसे फायदे का तरीका है.
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