मंदिरों की नगरी वाराणसी को काशी भी कहा जाता है. हर रोज यहां के छोटे-बड़े मंदिरों में करीब एक लाख लोग दर्शन के लिए आते हैं. चढ़ावे के लिए प्रसाद भी बिकता है. लौंग लता और लाल पेड़ा खासतौर पर काशी नगरी में प्रसाद के लिए तैयार किया जाता है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही इन दोनों मिठाई को जीआई टैग मिल सकता है. वाराणसी में शुरू हो रहे अमूल और बनास डेयरी के मिल्क प्लांट में इस मिठाई का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन होगा. जीआई टैग का मतलब जियोग्राफिकल इंडीकेशन यानी भौगोलिक संकेत होता है.
इससे उस प्रोडक्ट के शहर का पता चलता है कि ये मूल रूप से कहां का बना है. चर्चा है कि 23 फरवरी को पीएम नरेन्द्र मोदी वाराणसी आ रहे हैं. वो अमूल के मिल्क प्लांट का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर वो लौंग लता, लाल पेड़ा ही नहीं जौनपुर की इमारती समेत वाराणसी के और भी खाने-पीने के सामान को जीआई टैग देने का ऐलान भी कर सकते हैं.
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जानकारों की मानें तो जीआई टैग की लिस्टै में 36 प्रोडक्ट शामिल हैं. इसमें बनारस के सात प्रोडक्ट शामिल हैं. इसमे बनारसी ठंडई, लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, म्यूरल पेटिंग, चिरईगांव का करौंदा, लाल भरवा मिर्च शामिल है. साथ ही अलीगढ़, यूपी के ब्रास का स्टैच्यू, मथुरा की कंठी माला और सांझी आर्ट भी इसमे शामिल हैं. चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय के मुताबिक 23 फरवरी को पीएम वाराणसी में जीआई टैग मिलने की घोषणा कर सकते हैं.
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जानाकरों की मानें तो इससे पहले भी यूपी के तमाम प्रोडक्ट को जीआई टैग मिल चुका है. इसमे बनारस के प्रोडक्ट भी शामिल हैं. जैसे बनारसी साड़ी, ब्रोकेड, गुलाबी मीनाकारी, बनारसी जरदोजी, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बीड्स, हैंड ब्लॉक प्रिंट, साफ्ट स्टोन जाली वर्क, वुड कार्विंग समेत मिर्जापुर के पीतल के बर्तन, हस्तनिर्मित दरी, भदोही की कालीन, गाजीपुर का वॉल हैंगिंग, निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी, चुनार का बलुआ पत्थर, ग्लेज पॉटरी, गोरखपुर का टेराकोटा क्राफ्ट हैं.
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