बारिश का मौसम होने के चलते इन दिनों खेत, बाग और जंगलों में चारों तरफ हरा चारा खूब उगता है. जगह-जगह पीने के पानी की भी कोई कमी नहीं रहती है. लेकिन एनिमल एकसपर्ट की मानें तो मॉनसून के मौसम में हरा चारा और पीने का पानी ही बीमारी की सबसे बड़ी जड़ बनते हैं. हरा चारा देने और पानी पिलाने में जरा सी चूक हुई नहीं कि पशु कई तरह की बीमारी की चपेट में आ जाता है. इसलिए इस मौसम में चारा खिलाने और पानी पिलाने के दौरान खासी सावधानियां बरतनी चाहिए.
इन सब कारणों के चलते होने वाली बीमारियों से बचाने में पशुओं का टीकाकरण भी अहम रोल निभाता है. वहीं बीमा पशुओं के जोखिम को कम कर देता है. साथ ही अगर पशु पालक गांव में ही बने पशुओं के अस्पताल या डिस्पेंसरी में तैनात डॉक्टर के संपर्क में रहे तो वो पशुओं की बीमारी पर लगातार नजर भी रख सकता है.
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हरियाणा पशुपालन विभाग के डॉ. जयदीप यादव ने किसान तक को बताया कि बरसात के चलते जगह-जगह पानी भर जाता है. खासतौर पर गांवों की पोखर और तालाब में. लेकिन इसके साथ ही बरसात के इस पानी में कई तरह के कीटाणु पनपने लगते हैं. मच्छर भी जमा हुए पानी पर लार्वा छोड़ने लगते हैं. और जब हमारा पशु इस पानी को पीता है तो वो बीमार पड़ जाता है.
इसलिए खासतौर पर बरसात के दिनों में पशुओं को खुले में पानी न पिलाएं. हमेशा से ताजा पानी बाल्टी या किसी और बर्तन में लेकर ही पिलाएं. पानी घर पर ही पिलाएं. हो सके तो गांव के पोखर और तालाब में बारिश का पानी जमा न होने दें. अगर पानी जमा भी हो जाए तो उसमे लाल दवा मिला दें.
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डॉ. जयदीप यादव का कहना है कि इस मौसम में पशुओं के हरे चारे पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. इस मौसम के हरे चारे पर नमी बहुत होती है. इसके चलते कई तरह के कीड़े हरी पत्तियों और तने पर आकर बैठ जाते हैं. हरे चारे में इस दौरान पानी बहुत होता है. ज्यादा हरा चारा खाने से पशुओं को डायरिया भी हो सकता है. मुमकिन हो तो हरा चारा काटकर और उसे थोड़ा सा सुखाकर ही पशुओं को खिलाएं.
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