FMD: भारत 2025 तक खुरपका-मुंहपका को कंट्रोल कर 2030 तक बीमारी मुक्त हो जाएगा 

FMD: भारत 2025 तक खुरपका-मुंहपका को कंट्रोल कर 2030 तक बीमारी मुक्त हो जाएगा 

डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि भारत दूध उत्पादन में विश्वभर में पहले स्थान पर है. लेकिन डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के मामले में बहुत पीछे हैं. और इसकी सबसे बड़ी वजह है पशुओं का गंभीर बीमारी की चपेट में आना. ऐसी ही दो बीमारियों पर काबू कर सरकार साल 2030 तक एक्सपोर्ट बढ़ाने का दावा कर रही है. 

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FMD: भारत 2025 तक खुरपका-मुंहपका को कंट्रोल कर 2030 तक बीमारी मुक्त हो जाएगा सर्द‍ियों में रखे पशुओं की इन जरूरतों का ध्‍यान.

आने वाला वक्त डेयरी और पशुपालन सेक्टर के लिए बहुत ही सुनहरा है, क्यों‍कि केन्द्र सरकार इस पर लगातार काम कर रही है. हाल ही में एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय के एक कार्यक्रम में खुद केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्री राजीव रंजन ने इस बात का ऐलान किया था कि साल 2025 तक भारत खुरपका-मुंहपका (FMD) बीमारी को कंट्रोल कर लेगा, वहीं 2030 तक भारत इस बीमारी से मुक्त हो जाएगा. इस पर और तेजी से काम शुरू हो गया है. हालांकि FMD के वैक्सीनेशन को लेकर तो पहले से ही गांव-गांव और शहर-शहर अभि‍यान चल ही रहा है. 

मंत्री ने ये भी बताया कि अभी तक FMD के 91 करोड़ टीके पशुओं को लगाए जा चुके हैं. वहीं ब्रूसोलिसिस पर भी काबू पाने की तैयारी चल रही है. इसके भी चार करोड़ से ज्यादा के टीके लगाए जा चुके हैं. मंत्री का कहना है कि FMD-ब्रूसोलिसिस पर काबू पाने के साथ डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा. साथ ही सरकार देश के 11 राज्यों में FMD फ्री कंटेंटमेंट जोन बनाने पर भी काम कर रही है.  

मीट और डेयरी प्रोडक्ट‍ की रुकावट हो जाएगी दूर

बहुत सारे देश एफएमडी फ्री घोषित हो चुके हैं. क्योंकि अभी तक इस बीमारी के इलाज के नाम पर सिर्फ वैक्सीन है. हालांकि सरकार का मानना है कि एफएमडी के वैक्सीनेशन से सरकार का करोड़ों रुपया खर्च हो जाता है. क्योंकि ये वायरस से होने वाली बीमारी है तो इसके सक्रिय होने और फैलने का भी कोई तय वक्त नहीं है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नौ राज्यों में FMD फ्री जोन बनाने की तैयारी में लगी हुई है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा कि FMD बीमारी के चलते मीट, डेयरी प्रोडक्ट‍ और मिल्क एक्सपोर्ट की बड़ी रुकावट दूर हो जाएगी. 

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यहां जानें FMD के बारे में सब कुछ 

एनीमल एक्स्पर्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि FMD बीमारी की रोकथाम के लिए ये जरूरी है कि हमे उसके लक्षण पता हों. साथ ही उसके फैलने की वजह पता हों जिससे उन्हें कंट्रोल किया जा सके. साथ ही अगर किसी पशु को ये बीमारी हो जाए तो उस वक्त क्या करना चाहिए इस बात की जानकारी भी होना बहुत जरूरी है. तभी FMD फ्री जोन बनाने में मदद मिलेगी. डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि FMD दुधारू पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी में तो होती है साथ में घोड़े जैसे पशुओं में भी होती है. इसीलिए इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जैसे ही आप लक्षण पहचान लेंगे तो उसे फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय भी अपना लेंगे.

ये है FMD बीमारी की खास पहचान

पशु को 104 से 106 एफ तक तेज बुखार आएगा. 
एफएमडी पीडि़त पशु की भूख कम हो जाएगी. 
एफएमडी से पीडि़त पशु सुस्त रहने लगता है. 
पशु के मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकना शुरू हो जाती है. 
मुंहपका हो जाते हैं अंदर और बाहर फफोले हो जाते हैं. 
खासतौर पर पशु के जीभ-मसूड़ों पर फफोले हो जाते हैं. 
पशु के पैर में खुर के बीच वाली जगह में घाव हो जाते हैं. 
अगर पशु गाभिन है तो उसका गर्भपात हो जाता है. 
पशु के थन में सूजन आने से दूध देने में परेशानी होती है.
एफएमडी पशु में बांझपन की बीमारी की वजह भी है. 

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किसी भी पशु में ऐसे फैलता है FMD    

बरसात के दौरान दूषित चारा और दूषित पानी पीने से. 
बरसात के दौरान खुले में चरने से भी फैलता है. 
खुले में पड़ी सड़ी-गली चीजें खाने से भी होता है. 
फार्म पर आने वाला नया पशु पीडि़त है तो उससे लग जाती है. 
एफएमडी पीड़ित पशु के साथ रहने से हो जाती है.
 

 

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