कब मौसम करवट बदल ले, कब समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरे उठने लगें या फिर गहरे समुद्र में कब-कौनसी मुसीबत आ जाए इसका कोई पता नहीं चलता है. कभी-कभी कुछ चीजों का थोड़ा पहले से पता चलने लगता है कि ऐसा हो सकता है, लेकिन कब होगा इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है. जिसके चलते बीच समुद्र में जाकर मछली पकड़ना जान जोखिम में डालने जैसा रहता है. वो भी ऐसे वक्त में जब तमाम तरह के चक्रवात आते रहते हैं. लेकिन ये पहला मौका था जब दाना चक्रवात के दौरान मछुआरों को ना तो अपनी जान का नुकसान उठाना पड़ा और ना ही माल यानि मोटर बोट, जाल आदि का.
और ये सब मुमकिन हुआ एक डिवाइस ट्रांसपोंडर से. इस डिवाइस की मदद से गहरे समुद्र में मछली पकड़ने पहुंच चुके मछुआरों को वक्त रहते किनारे पर बुला लिया गया. पारादीप के पास ही इस डिवाइस की मदद से वक्त पर सूचना मिलते ही 126 मोटर बोट 22 अक्टूबर को ही किनारे पर वापस आ गईं. जबकि ये बहुत गहरे समुद्र में पहुंच गईं थी. क्योंकि होता ये है कि कुछ खास वैराइटी की बड़ी मात्रा में मछली पकड़ने के लिए मछुआरों को गहरे समुद्र में जाना पड़ता है. गहरे समुद्र में भी कहां और कब मछलियां मिलेंगी ये भी तय नहीं होता है.
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मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (MoFAH&D) पीएम नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत टू वे कम्यूनिकेशन सिस्टम डिवाइस ट्रांसपोंडर का मछुआरों को दे रहा है. इस डिवाइस को मछुआरे मोटर बोट पर लगाकर एक साथ कई विभाग के साथ जुड़ जाते हैं. जिसके चलते उन्हें समुद्र और मौसम के बारे में हर तरह की जानकारी वक्त रहते मिलती रहती है और खतरे की सूचना भी दूसरी साइड भेज देते हैं. मंत्रालय से जुड़े जानकारों के मुताबिक समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा बढ़ाने में सफलता हासिल होने लगी हे. अभी 30 अगस्त, 2024 को ही महाराष्ट्र के पालघर में हुए एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने इस परियोजना की शुरुआत की थी. इस पर 364 करोड़ रुपये का खर्च आया है. ये ट्रांसपोंडर मछुआरों को फ्री में दिए जा रहे हैं. ये पूरी तरह से स्वदेशी और इसरों की मदद से बने ट्रांसपोंडर हैं. अभी इन्हें 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक लाख मछली पकड़ने वाले जहाजों पर लगाने का काम चल रहा है.
हाल ही में ओडिशा के तट और बंगाल की खाड़ी से लगे आसपास के इलाकों में दाना चक्रवात आया था. चक्रवात के पहले से ही गहरे समुद्र में जाने वाली एक हजार के करीब मोटर बोट में ट्रांसपोंडर लग चुके थे. यही वजह है कि संबंधित विभागों ने 20 अक्टूबर को दोपहर के बुलेटिन में दाना चक्रवात की सूचना देते हुए मछुआरों को गहरे समुद्र से लौटने की चेतावनी जारी कर दी थी. साथ ही 21 से 26 अक्टूबर 2024 तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई थी. अंग्रेजी और उड़ीया भाषा में ये सूचना दी गई थी.
शुरुआत में जिन मोटर बोट पर ट्रांसपोंडर लगाए जा रहे हैं वो 20 मीटर से कम लम्बाई की हैं. मछुआरों की नौकाओं की निगरानी करने वाली एजेंसियां इसके माध्यम से मछुआरों को हर तरह की जानकारी भेज रही हैं. जैसे अगर मौसम खराब है या होने वाला है तो उन्हें चेतावनी दे दी जाएगी. लोकेशन भी बताई जाएगी. साथ ही टू वे कम्युनिकेशन होने के चलते मछुआरे भी परेशानी के दौरान मैसेज भेज सकेंगे और मदद मांग सकेंगे. सरकार का कहना है कि इससे मछुआरों का कारोबार भी बढ़ेगा और वो काम करने के दौरान जोखिम में भी नहीं फंसेंगे.
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अभी तक मछुआरों को मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में कई-कई दिन बीताने पड़ते हैं. इस दौरान मछुआरों की जान गहरे समुद्र में ही फंसी रहती है. ऐसी जगहों पर मोबाइल फोन भी काम नहीं करते हैं, और तो और घर वालों और दूसरे लोगों से कोई संपर्क भी नहीं रहता है. लेकिन केन्द्र सरकार ने एक खास डिवाइस की मदद से मछुआरों की इस परेशानी को दूर करने का काम शुरू कर दिया है.
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