Poultry Lighting Management पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि लाइट मैनेजमेंट खासतौर चिकन के लिए पाले जाने वाले ब्रायलर मुर्गों की ग्रोथ बढ़ाने, हेल्दी रहने और सही वक्त पर फीड लेने में मदद करता है. इसलिए ब्रायलर फार्मिंग में पहले हफ्ते चूजों को पूरी रोशनी दें. फिर जैसे-जैसे चूजे बड़े होते जाएं तो रोशनी के घंटों को कम करते जाएं. टाइम मैनेजमेंट को बनाए रखें. रोशनी और अंधेरा करने में टाइम का पालन करें, वर्ना अचानक होने वाले बदलाव से चूजे तनाव में आ सकते हैं. यही वजह है कि एक दिन के चूजे से 40 दिन का मुर्गा तैयार होने में लाइट (रोशनी) का बड़ा ही अहम रोल है.
चूजों को बीमारियों से लड़ने के लिए इम्यूनिटी बनाने और तनाव कम करने के पीछे भी रोशनी और अंधेंरे का लाइट मैनेजमेंट ही है. लाइट मैनेजमेंट सिर्फ चिकन के लिए पाले जाने वाले चूजों पर ही लागू नहीं होता है. फार्म में अंडों के लिए लेयर फार्मिंग में पाले जा रहे चूजों और बड़ी मुर्गियों पर भी लाइट मैनेजमेंट लागू होता है. अगर एक्सपर्ट के मुताबिक नियमानुसार लाइट मैनेजमेंट किया तो फिर पोल्ट्री फार्म में प्रोडक्शन बढ़ना तय है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक जब तय वक्त के मुताबिक पोल्ट्री फार्म में लाइट ऑफ कर अंधेरा किया जाता है तो चूजे या मुर्गे जो भी हैं वो आराम करते हैं. और इस दौरान उनके शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन होता है. मेलाटोनिन हार्मेन की वजह से ही उनके शरीर में इम्यूनिटी बनती है और यही हार्मेन तनाव कम करने में मदद करता है. इसलिए अगर फार्म में अंधेरे नहीं रखा गया तो इसके चलते मुर्गों की हैल्थ खराब हो सकती है और बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपके चूजे सात दिन तक अच्छे वजन (कम से कम 150 ग्राम) तक पहुंच जाते हैं, तो रोशनी के घंटों की संख्या कम करना शुरू कर दें. ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है.
दूसरा ये कि हर रोज एक ही वक्त पर पोल्ट्री फार्म की लाइट को चालू और बंद करें. क्योंकि इसमे जरा सा भी बदलाव होते ही मुर्गें-मुर्गी चौंक जाते हैं और तनाव में आ जाते हैं. लाइट के लिए टाइमर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
पोल्ट्री फार्म में ऐसी रोशनी का इस्तेमाल करें जो न तो बहुत तेज हो और न ही बहुत कम. मीडियम लाइट ज्यादा अच्छी रहती है.
फार्म में तेज रोशनी की वजह से मुर्गों में तनाव और आक्रामकता आ जाती है. जबकि कम रोशनी फीड की मात्रा को कम कर सकती है.
पोल्ट्री फार्म में ऐसे बल्बों का प्रयोग करें जो पूरे फार्म में समान रोशनी दे.
फार्म में रोशनी के दौरान छाया और अंधेरा जैसी जगह न छोड़ें, इससे चूजे छिप जाते और फीड भी नहीं लेते हैं.
अगर पोल्ट्री फार्म खुले में बना है तो आप उसके अंदर दिन में सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर सकते हैं. फार्म बंद हो तो आर्टिफीशियल रोशनी का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन इस बात का ख्याल रहे कि फार्म में रोशनी और अंधेरा लाइट मैनेजमेंट के मुताबिक ही हो.
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