हाल ही में गुरु अंगद देव वेटनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में पशुपालन मेले का आयोजन किया गया था. वैसे तो मेले में गडवासु की ओर से कई अलग-अलग नस्ल की गाय-भैंस की प्रदर्शनी लगाई गई थी. लेकिन पूरे मेले में एक भैंस ऐसी भी थी जिसे देखने के लिए सुबह से शाम तक भीड़ जुटी हुई थी. यह मुर्रा नस्ल की भैंस थी. यूनवर्सिटी के मुताबिक यह भैंस रोजाना 28.7 लीटर दूध देती है. यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट के मुताबिक चौथी ब्यात (प्रजनन) में यह भैंस इतना दूध दे रही है.
मुर्रा भैंस एसोसिएशन के प्रधान नरेन्द्र सिंह ने किसान तक को बताया कि हरियाणा से मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खरीदार राज्यों की सरकारे हैं. जिसमे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस खरीदती है. रोहतक, हरियाणा से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाती हैं. 2009 तक स्पेशल ट्रेन से भैंसे दूसरे राज्यों को भेजी जाती थीं, लेकिन अब ट्रक से भेजी जाती हैं. सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस जींद,पानीपत, रोहतक, हिसार, भिवानी, महेन्द्र गढ़, नारनौल और झज्जर में पाई जाती हैं.
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यूनिवर्सिटी के डॉ. नवदीप सिंह ने किसान तक को बताया कि आमतौर पर पशुपालक अपने पशु को तीन तरह का चारा अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग तरीके से खिलाते हैं. जैसे सूखा चारा अलग देंगे, दाना अलग से खिलाएंगे. वहीं हरा चारा खासतौर पर शाम के वक्त अलग से खाने के लिए देंगे. लेकिन हम लोग ऐसा नहीं करते हैं. गाय-भैंस ज्यादा दूध देने वाले हों या फिर कम दूध, खाने का तरीका एक ही रहता है. यह बात अलग है कि दूध की मात्रा के मुताबिक चारे की मात्रा कम-ज्यादा होती रहती है.
अगर हम 28 लीटर दूध देनी वाली मुर्रा भैंस की बात करें तो हम सभी तरह का दाना और चारा मिक्स करके सानी की शक्ल में इसे खिलाते हैं. जैसे अगर हम मक्का या चुकंदर का सूखा (साइलेज) चारा दे रहे हैं या फिर कोई दानेदार फीड और हरा चारा, सभी को एक साथ मिलाकर उसकी सानी बना लेते हैं. फिर उस सानी को इन्हें खाने के लिए दे दिया जाता है.
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प्रधान नरेन्द्र सिंह बताते हैं कि टेंडर के माध्यम से राज्य सरकारें जो मुर्रा भैंस की खरीद करती हैं उनकी कीमत औसत 80 हजार से एक लाख रुपये तक आती है. जबकि मुर्रा भैंस के जो खरीदार सीधे आते हैं उन्हें एक मुर्रा भैंस एक लाख से लेकर सवा लाख रुपये तक की पड़ती है. हरियाणा से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस खरीदने वालों में यूपी, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्या प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार के लोग होते हैं. मुर्राह भैंस के सौदे करने ज्यादातर कारोबारी सीधे हरियाणा आते हैं. पशु मेलों में यह कारोबारी पहले मुर्रा के बारे में जानकारी जुटा लेते हैं कि कहां, कैसी और कितने की मिल रही है.
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