हम आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल में से एक है. आपको बता दें कि बाजार में भैंस के दूध की कीमत गाय के दूध से काफी ज्यादा है. इसका कारण भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होना है. भैंस के दूध का उपयोग दही, खीर और अन्य डेयरी उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है. इन्हीं कारणों से इसकी मांग बहुत ज्यादा है. इतना ही नहीं, भैंस पालने से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसान उन्नत नस्ल अपनाते हैं ताकि वे अधिक मुनाफा कमा सकें. इसी कड़ी में आज हम आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताएंगे जो पशुपालकों की भी पहली पसंद बन गई है.
मुर्रा नस्ल की भैंस अधिक दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है. देश में बड़ी संख्या में पशुपालक इसे पालते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं. इसके अलावा इस भैंस की दूध देने की क्षमता भी अन्य नस्लों की तुलना में अधिक है. मुर्रा नस्ल की भैंस का रंग गहरा काला होता है. इसके अलावा इसके सींग भी घुमावदार होते हैं. मुर्रा भैंस के बारे में जानकारी यह भैंस की एक ऐसी नस्ल है जिसके बारे में न सिर्फ पशुपालक बल्कि आम लोग भी वाकिफ हैं.
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हरियाणा की मुर्रा भैंस हरियाणा के विभिन्न जिलों में मुख्य रूप से मुर्रा भैंस पाई जाती है, जिसे काला सोना भी कहा जाता है. मुर्रा नस्ल की भैंस को दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है और इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में पशुपालकों द्वारा पाला जाता है. भैंस की कोई अन्य नस्ल दूध उत्पादन के मामले में इसका दूर-दूर तक मुकाबला नहीं कर सकती. आपको बता दें मुर्रा भैंस प्रति दिन 20 से 30 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. देश में करीब 5 करोड़ मुर्रा भैंसें पाली जा रही हैं, जो किसी भी अन्य नस्ल की भैंसों से ज्यादा है.
मुर्रा भैंस को कई लोग काला सोना भी कहते हैं. इसका कारण भैंस का काला रंग है.
इसके शरीर का आकार भैंसों की अन्य नस्लों की तुलना में बहुत बड़ा होता है.
मुर्रा भैंस के सींग जलेबी की तरह घुमावदार होते हैं.
इसकी पूंछ लंबी होती है और इसके निचले सिरे पर सफेद और काले बालों का गुच्छा होता है.
मुर्रा भैंस की आंखें काली और चमकदार, सिर पतला और गर्दन लंबी होती है.
इसके थन लंबे और समान दूरी पर जुड़े हुए होते हैं और नसें उभरी हुई होती हैं.
मुर्रा भैंस के सिर और पैरों पर सुनहरे रंग के बाल दिखाई देते हैं.
इसके शरीर का औसत वजन 350-700 किलोग्राम होता है.
मुर्रा भैंस के बच्चे की पहचान मुर्रा भैंस का बच्चा आमतौर पर काले रंग का होता है और उसका सिर छोटा होता है.
वहीं मुर्रा भैंस के उम्र की बात करें तो इसकी उम्र लगभग 26 वर्ष तक की होती है.
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दूध का कारोबार करने वाले लोगों के लिए मुर्रा भैंस किसी वरदान से कम नहीं है. आसानी से किसी भी वातावरण में ढलने की क्षमता के कारण मुर्रा भैंस को अन्य जानवरों की तुलना में बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है. आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज (आईसीएआर-एनबीएजीआर) द्वारा पंजीकृत यह भैंस अपनी शारीरिक ताकत, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अधिक दूध देने के दम पर पशुपालकों के बीच काले सोने के नाम से भी मशहूर है. मुर्रा भैंस के दूध में वसा प्रचुर मात्रा में होती है जिससे उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पाद तैयार होते हैं. अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के दम पर अपनी पहचान बनाने वाली मुर्रा भैंस कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है. इन भैंसों को मुख्य रूप से अच्छे दूध उत्पादन के अलावा उनके मीट और खाल के लिए पाला जाता है. लोग मुर्रा भैंसों का संकरण कराकर कई दुधारू नस्लें तैयार करते हैं.
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