ग्रामीण इलाकों के अलावा शहरी इलाकों में भी भैंस के दूध और उससे बने उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है. इसके चलते शहर के लोग भी पशुपालन में रुचि दिखा रहे हैं. भैंस पालने से अधिक लाभ कमाने के लिए पशुपालक उन नस्लों की भैंसों को पालते हैं जिनसे उन्हें अधिक लाभ मिल सके. ऐसे में भैंस की कालाहांडी नस्ल काफी फायदे का सौदा मानी जाती है. हालांकि, इस नस्ल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आपको बता दें कि यह नस्ल अपने पूरे जीवनकाल में 7 से 8 बच्चों को जन्म देती है. वहीं दूध देने में इसने कई भैंसों को भी पीछे छोड़ दिया है. आइए जानते हैं इस नस्ल की और क्या-क्या खासियत है.
इस नस्ल को उड़ीसा में कालाहांडी और आंध्र प्रदेश में पेद्दाकिमेडी के नाम से जाना जाता है. ये भैंसे पूरे गजपति जिले और उड़ीसा के गंजम और रायगड़ा जिले के कुछ हिस्से के अलावा आंध्र प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में देखी जाती है. इन नस्ल का रंग काले से लेकर काले भूरे रंग तक होता है. इन नस्लों के भैंस का माथा चपटा होता है और उस पर सुनहरे बाल होते हैं. बहुत से जानवरों की गर्दन के पास हार के रूप में अनोखे सफेद निशान पाए जाते हैं. दूध और बोझा ढोने के लिए इस भैंस के उपयोग के अलावा, सींगों का उपयोग हस्तशिल्प और घरेलू सामान बनाने में किया जाता है. जो देशी इलाके में इन भैंसों की आर्थिक उपयोगिता को बढ़ाता है.
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इस नस्ल की भैंस अपना पहला बछड़ा लगभग 4 साल की उम्र में देती है और जीवन भर 7 से 8 बार बच्चे देती हैं. औसतन 18 महीने का अंतराल रखती है. परलाखेमुंडी भैंसें मध्यम दूध देने वाली हैं और उनकी औसत दैनिक दूध उपज लगभग 3 से 5 लीटर है. पूरे ब्यांत में दुग्ध उत्पादन 737 से 800 लीटर है. ये भैंसें अपने मूल क्षेत्र में अपनी कार्य क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं.
इस नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार भोजन की जरूरत होती है. आम तौर पर इन्हें भोजन के रूप में फली वाला चारा और सूखे मेवे पसंद होते हैं. उनके भोजन में ऐसे तत्व शामिल करें जो ऊर्जा, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन ए आदि से भरपूर हों. आप उन्हें अनाज, तिलहन की खली और मिनरल युक्त भोजन दे सकते हैं.
इन नस्लों की भैंसों को शेड में रखना अधिक लाभदायक होता है. अनुकूल परिस्थितियां उनके विकास में सहायक होती हैं. तेज धूप, बर्फबारी और अत्यधिक ठंड जैसे मौसम में इन्हें खुले वातावरण में रखना सही नहीं है. साथ ही उनके शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए.
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