देश के ग्रामीण इलाकों में कृषि कार्यों के अलावा पशुपालन का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. कृषि के बाद यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है, जिससे किसान और पशुपालक अच्छा मुनाफा कमाते हैं. आमतौर पर दूध और उससे बने उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण गाय-भैंस पालने का चलन भी बढ़ा है. आजकल गांवों से लेकर शहरों तक लोग और डेयरी किसान भी मवेशियों की उन नस्लों को खरीदकर पाल रहे हैं जो कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती हैं. ऐसे में भैंस की जाफराबादी नस्ल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. भैंस की यह नस्ल एक ब्यांत में 1200-1500 लीटर तक दूध दे सकती है. साथ ही भैंस की इस नस्ल का पालन भार ढोने और हल चलाने के लिए भी करते हैं. आइए जानते हैं इस नस्ल की खासियत.
भैंस की जाफराबादी नस्ल गुजरात के जामनगर और कच्छ जिलों में पाई जाती है. इस नस्ल की भैंसों की गर्दन और सिर बड़े होते हैं, माथा उभरा हुआ होता है, सींग भारी होती है. सींग गर्दन की ओर झुकी होती है और शरीर का रंग मुख्यतः काला होता है. यह नस्ल एक ब्यांत में औसतन 1200-1500 किलोग्राम दूध देती है. इस नस्ल के बैलों का उपयोग मुख्य रूप से बोझा ढोने और जुताई के लिए भी किया जाता है.
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गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र की मूल निवासी और गिर के जंगलों में पाई जाने वाली जाफराबादी भैंस को कई लोग गिर भैंस के नाम से भी जानते हैं. जाफराबादी नस्ल की भैंसों की शारीरिक ताकत और दूध देने की क्षमता के आधार पर इसे दुधारू पशुओं का बाहुबली कहा जाता है. जाफराबादी भैंस के दूध में 8 प्रतिशत वसा होती है, जिसके सेवन से शरीर मजबूत होता है.
अच्छे दूध उत्पादन के लिए पशुओं को अनुकूल पर्यावरण की जरूरत होती है. जानवरों को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और बीमारियों से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. सुनिश्चित करें कि चुने गए शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए. भोजन के लिए जगह जानवरों की संख्या के अनुसार बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन कर सकें क्योंकि इसका असर पशुओं के स्वस्थ्य और दूध देने की क्षमता पर साफ दिखाई देता है.
भैंस की यह नस्ल हर दिन 30 से 35 लीटर दूध देकर डेयरी फार्मिंग में बदलाव ला सकती है. इसका वजन लगभग 800 से 1000 किलोग्राम होता है, जो एक ब्यांत में 1200 से 1500 लीटर से अधिक दूध दे सकती है.
इस नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार भोजन देने की जरूरत होती है. फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें ताकि कोई अव्यवस्था या बदहजमी न हो. चारे में ऊर्जा, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी होता है.
अनाज - मक्का/गेहूं/जौ/जई/बाजरा
तिलहन खली - मूंगफली/तिल/सोयाबीन/अलसी/मुख्य/सरसों/सूरजमुखी
अनाज का उत्पाद - गेहूं की भूसी/चावल पॉलिश/बिना तेल के चावल पॉलिश
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