Dairy Cattle: सबसे अधिक फैट वाला दूध देती है ये भैंस, मुर्रा, सूरती भी हैं इससे पीछे

Dairy Cattle: सबसे अधिक फैट वाला दूध देती है ये भैंस, मुर्रा, सूरती भी हैं इससे पीछे

नए पशुपालक जब भी भैंस खरीदते हैं तो सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल का चयन करते हैं. आपको बता दें कि अधिक दूध देने वाली नस्ल के साथ ही कौन से भैंस के दूध में अधिक फैट होता है इसके बारे में भी जानना चाहिए. इस खबर में आपको सबसे अधिक फैट वाला दूध देने वाली नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं.

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सबसे अधिक फैट वाला दूध देती है ये भैंस, मुर्रा, सूरती भी हैं इससे पीछेसबसे अधिक फैट वाला दूध देने वाली भैंस

बीते कुछ सालों से पशुपालन का क्षेत्र खूब तरक्की कर रहा है. गांव के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी पशुपालन का काम किया जाने लगा है. पशुओं से जुड़े कारोबार में उतरने वाले लोगों की पहली पसंद दुधारू पशु (Dairy Cattle) ही होते हैं. दूध देने वाले पशुओं का रखरखाव और खान-पान भी आसान है. ये पशु अधिक बीमार भी नहीं होते है. अगर आप डेयरी बिजनेस (Dairy Business) से जुड़ रहे हैं तो सबसे अधिक दूध देने के साथ ही ये जानना भी जरूरी है कि कौन सी भैंस के दूध में पर्याप्त फैट पाया जाता है. इस खबर में आपको ऐसी भैंस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दूध में सबसे अधिक फैट पाया जाता है, साथ ही ये भी बताएंगे कि दूध में अधिक फैट होने के फायदे क्या हैं.

इस भैंस के दूध में सबसे अधिक फैट

अधिकांश पशुपालक जब भी भैंस खरीदते हैं तो ऐसी नस्ल का चयन करते हैं जो खूब दूध देती हो. अगर आप व्यापार के लिए भैंस खरीद रहे हैं तो जान लीजिए कि, जितना जरूरी उसकी दूध देने की क्षमता है उतना ही ज्यादा जरूरी ये है कि भैंस के दूध में फैट कितना है. आपको बता दें कि सबसे अधिक फैट वाला दूध भदावरी नस्ल की भैंस (Bhadavari Buffalo) देती है. भदावरी नस्ल की भैंस में कम से कम 13 फीसदी फैट होता है और 18 फीसदी तक हो सकता है जो अन्य नस्लों के मुताबिक आधे से भी अधिक है.

दूध में फैट होने का मतलब 

अधिकांश लोग ये जरूर जानना चाहते हैं कि दूध में फैट होने का मतलब क्या है. आपको बता दें फैट का मतलब वसा है. दूध में वसा की मात्रा जितनी ज्यादा होगी उसका गाढ़ापन उतना ही ज्यादा होगा. गांव से जुड़े लोग ये बात अच्छी तरह से जानते होंगे कि दूध व्यापारियों के मिलावट की पहचान उसके गाढ़ेपन को देखकर ही की जाती है. आपको आसान भाषा में बता देते हैं कि दूध में जितना ज्यादा फैट रहेगा उससे उतना ही ज्यादा मक्खन निकलता है. अधिक घी पाने के लिए ये भैंस पाली जाती है. 

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भदावरी भैंस से जुड़ी खासियत

भदावरी नस्ल की भैंस कई पैमाने में पशुपालकों के लिए फायदेमंद है. इस नस्ल की भैंस का आकार और कद-काठी मध्यम होता है. इन भैंसें प्रथम ब्यांत की उम्र लगभग 50 से 52 महीने की होती है. भदावरी नस्ल के बच्चों की मृत्यु दर अन्य नस्लों की तुलना में काफी कम है, आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इनको पालने के लिए अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है. सीमित संसाधन और सामान्य देखभाल में भी इन्हें पाला जा सकता है. आप डेयरी फार्मिंग की शुरुआत भदावरी नस्ल के भैंस के साथ कर सकते हैं. इन भैंसों को 

भदावरी भैंस की कीमत और देखभाल

भदावरी नस्ल के भैंस की खासियत जानने के बाद अगर आपने इसे खरीदने का मन बना लिया है तो इसकी कीमत और देखभाल का तरीका भी जान लीजिए. इनको रखने के लिए एक ऐसा शेड बनाना होगा जहां प्रकाश और हवा बराबर आए. इनके शेड की साफ-सफाई का खास ध्यान दें, गोबर या गंदा पानी अधिक देर तक जमा ना होने दें. खानपान की बात करें तो इन्हें सूखा चारा और हरा चारा दोनों दें. प्रतिदिन कम से कम दो किलो बाजरा, गेहूं, मक्का या चावल को चूनी या चोकर के रूप में दें. सरसों, अलसी या मूंगफली की खली देना भी जरूरी है. भदावरी नस्ल के भैंस की कीमत 50 हजार रुपये से लेकर सवा लाख रुपये तक बताई जाती है. 

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