देश में गाय की कई नस्लों का पालन किया जाता है. इन सभी नस्लों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. मौजूदा वक्त में किसान भी कृषि के साथ-साथ पशुपालन की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं और गौ पालन के सहारे अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं. अगर आप उत्तराखंड के निवासी हैं और पशुपालन में हाथ आजमाना चाहते हैं, तो पहाड़ों की कामधेनु यानि बद्री गाय का पालन करके अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं. बद्री गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका घी बाज़ारों में 5500 रुपये किलो तक बिकता है, जबकि देसी गायों की अन्य नस्लों का घी 1000 से 1500 रुपये किलो से ज्यादा नहीं बिकता है.
वहीं पहाड़ाें में पाई जाने जाने वाली बद्री गाय के दूध के बारे में बात करें तो बद्री गाय एक वक्त में लगभग एक से तीन किलो तक दूध देती है. वहीं इसका दूध शुगर को कंट्रोल करने में मददगार है. इसका दूध गाढ़ा होने के साथ ही पीला होता है. ऐसे में आइये आज बद्री गाय के बारे में विस्तार से जानते हैं-
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बद्री गाय उत्तराखंड की एक देशी गाय की नस्ल है. वही बद्री गाय उत्तराखंड की पहली पंजीकृत मवेशी नस्ल है, जिसे राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR) द्वारा प्रमाणित किया गया है. यह मैदानी इलाकों की गायों द्वारा खायी जाने वाली हानिकारक चीजों से कोसों दूर रहती है, क्योंकि यह हिमालय में पाई जानी वाली औषधीय जड़ी बूटियों को चरती है. इसलिए इसका दूध औषधीय तत्वों से भरपूर होता है.
यूकॉस्ट (उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) और आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा बद्री गाय के दूध पर किए गए एक रिसर्च से यह तथ्य सामने आया है कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में पायी जाने वाली बद्री गाय का दूध दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी एवं निरोगी दूध है.
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गायों की अन्य नस्लों के अपेक्षा बद्री गाय की दूध में 90 फीसद ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन (A2 genotype beta casein) पाया जाता है, जो शुगर (डायबिटीज) और हार्ट से जुड़ी बीमारियों को रोकने में बहुत कारगर है. इसके अलावा कई अन्य रोगों से बचाने में भी कारगर है.
जेनेटिक भिन्नता के आधार पर दुधारू पशुओं में 12 तरह के बीटा केसीन पाए जाते हैं. वहीं इनमें सिर्फ ए-1 और ए-2 बीटा केसीन को प्रमुख माना जाता है, जबकि ए-3, ए-4, ए-5, ए-6, ए-7,ए-8, ए-9, ए-10, ए-11 और ए-12 बीटा केसीन दुधारू पशुओं दूध में बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दूध में प्रोटीन का मुख्य कारक केसीन ही होता है.
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