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Agri Quiz: 5 दिनों में बढ़कर दोगुना हो जाता है यह चारा, खिलाने पर मुर्गियों और अंडों का साइज भी बढ़ता है

Agri Quiz: 5 दिनों में बढ़कर दोगुना हो जाता है यह चारा, खिलाने पर मुर्गियों और अंडों का साइज भी बढ़ता है

मुर्गीपालन व्यवसाय ने जहां लोगों को खेती के साथ-साथ व्यवसाय करने का रास्ता दिया है. वहीं यह लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है. आज बहुत से लोग मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. मुर्गी पालन कई उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है. मुर्गी पालन में सबसे जरूरी बात है मुर्गियों का चारा. सही चारा मुर्गियों के विकास में मदद करता है. साथ ही सही चारा खिलाने से मुर्गियों के साथ-साथ अंडों का साइज भी बढ़ाता है. 

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5 दिन में बढ़कर दोगुना हो जाता है ओजोला की खेती का आकार 5 दिन में बढ़कर दोगुना हो जाता है ओजोला की खेती का आकार

आज के समय में मुर्गी पालन एक बेहतर रोजगार बनकर उभर रहा है. किसान खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन कर अधिक आय कमा रहे हैं ताकि आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकें. इस बिजनेस से लोगों को काफी फायदा हुआ है. जिससे इसका बिजनेस लगातार बढ़ता जा रहा है. मुर्गीपालन व्यवसाय ने जहां लोगों को खेती के साथ-साथ व्यवसाय करने का रास्ता दिया है. वहीं यह लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है. आज बहुत से लोग मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. मुर्गी पालन कई उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है. मुर्गी पालन में सबसे जरूरी बात है मुर्गियों का चारा. सही चारा मुर्गियों के विकास में मदद करता है. साथ ही सही चारा खिलाने से मुर्गियों के साथ-साथ अंडों का साइज भी बढ़ाता है. 

5 दिनों में बढ़कर दोगुना हो जाता है अजोला

दरअसल हम जिस चारे की बात कर रहे हैं वो है ओजोला. किसान अक्सर इसके बारे में पढ़ते या सुनते रहते हैं. यह चारा ना सिर्फ मुर्गियों बल्कि सभी दुधारू पशुओं के लिए लाभदायक ओजोला पशुओं के लिए कम लागत वाला, पौष्टिक आहार है. शुष्क भार के आधार पर इसमें 25-35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-12 प्रतिशत खनिज तथा 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड होते हैं. यह तेजी से बढ़ने वाली किस्म है. इसका उत्पादन बुआई के 8-10 दिन के अंदर शुरू हो जाता है. अजोला की विशेषता है कि यह अनुकूल वातावरण में 5 दिनों में बढ़कर दोगुना हो जाता है, पूरे वर्ष इसके, प्रति हैक्टर, 300 टन से भी अधिक का उत्पादन किया जा सकता है. 

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दूध उत्पादन भी बढ़ाता है अजोला

ओजोला में अधिकांश जरूरी अमीनो एसिड, मैंगनीज, बायोपॉलिमर और बीटा कैरोटीन होते हैं. इन जैव रसायनों से भरपूर होने के कारण इसे पशुओं के लिए एक आदर्श जैविक आहार कहा जा सकता है. जानवर ओजोला को आसानी से पचा सकते हैं क्योंकि इसमें फाइबर और लिग्निन कम मात्रा में होते हैं. अजोला को पूरक आहार के रूप में उपयोग करने से कुल दूध उत्पादन में भी 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होती है. देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में चारे और पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए अजोला उत्पादन को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसे पानी के रुके हुए स्रोतों में भी प्राकृतिक रूप से उगाया जा रहा है.

मुर्गियों के लिए भी फायदेमंद है अजोला

मुर्गियों को उनके फीड के रूप में 10-15 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से इनके शारीरिक भार व अंडा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है. इसमें प्रोटीन, अमीनो अम्ल, विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फेरस, कॉपर और मैग्निशियम आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जिस वजह से यह मुर्गियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.