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Artificial Intelligence: किस गाय-भैंस को कितने चारे की है जरूरत, पूछें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से, जानें कैसे

Artificial Intelligence: किस गाय-भैंस को कितने चारे की है जरूरत, पूछें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से, जानें कैसे

पशुपालन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत गाय-भैंस का डाटा जमा किया जाता है. इसी डाटा के आधार पर गाय-भैंस की हर एक मूवमेंट के बारे में पता चलता है. साथ ही बीमार होने वाली अवस्थान में उसका इलाज भी इसी डाटा के आधार पर शुरू किया जाता है. लेकिन अभी तक ये डाटा किसी भी सतर पर जमा नहीं किया गया है.

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‘आजकल एक शब्द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बहुत चर्चाओं में है. शायद ही कोई ऐसा सेक्टर हो जहां इसकी एंट्री ना हो. अब पशुपालन, डेयरी में भी एआई की एंट्री हो गई है. एक्सपर्ट दावा करते हैं कि अगर एआई का पशुपालन में इस्तेमाल किया जाता है तो दूध की लागत 10 फीसद तक कम हो जाती है. इतना ही नहीं एआई के तहत और दूसरी चीजें इस्तेमाल करने पर प्रोडक्ट की लागत भी बढ़ाई जा सकती है.’ ये कहना है एआई एक्सपर्ट मनोज पवार का. किसान तक से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि सारा खेल डाटा का है. अभी तक पशुपालन से संबंधित कोई डाटा एक जगह नहीं है, ना ही किसान के पास अपने पशुओं का डाटा है. 

अगर एआई का इस्तेमाल कर डाटा कलेक्शन किया जाता है तो इससे पशुपालन और डेयरी सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आ सकता है. पशुओं की बीमारी को वक्त रहते कंट्रोल किया जा सकता है. लागत और मुनाफे की गणना आसानी से की जा सकती है. और ये सब बहुत आसान है.  

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एआई से ऐसे कम होगी दूध की लागत 

मनोज पवार ने बताया कि पशुपालन में सबसे जयादा खर्च पशुओं के चारे और उनको दिए जाने वाले मिनरल्स पर होता है. लेकिन बावजूद इसके दूध की मात्रा कम होती है. इसके लिए एआई के तहत करना ये होता है कि गाय की हैल्थ मॉनिटरिंग की जाती है. गाय की उम्र, गाय का वजन, हर रोज दिए जाने वाले दूध की मात्रा कितनी है आदि. और ये सब आंकड़े जमा करने के बाद इनके आधार पर गाय या भैंस जो भी पशु है उसकी खुराक तय की जाती है. कितना हरा चारा देना है या फिर कितना सूखा चारा खिलाना है. मिनरल्स की मात्रा भी इन्हीं आंकड़ों पर तय की जाती है. 

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दूध और उससे बने प्रोडक्ट की जानकारी से मिलेंगे अच्छे दाम 

मनोज पवार ने किसान तक को बताया कि कोरोना के बाद से ग्राहक बहुत जागरुक हुए हैं. खासतौर से खाने पीने के मामले में. इसे कहते हैं ट्रेसेबिलिटी. ऐसे ही दूध और डेयरी प्रोडक्ट के साथ है. अगर हम दूध के पाउच पर क्यूआर कोड की मदद से दूध के बारे में कुछ जानकारी देते हैं तो मैं गारंटी से कह सकता हूं कि आप ग्राहक से चार-पांच रुपये प्रति लीटर दूध ज्यादा ले सकते हैं. जैसे दूध किस गांव और शहर से आया है.

किस नस्ल की गाय और भैंस का दूध है. गाय-भैंस को वक्त से कौन-कौनसी वैक्सीन लग चुकी हैं. गाय-भैंस को कोई बीमारी तो नहीं है. दूध के कौन-कौन से टेस्ट हुए हैं. दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी है. इसी तरह की जानकारी दूसरे डेयरी प्रोडक्ट पर भी दी जा सकती है.