अगर बाड़े (शेड) में पशुओं की संख्या कम है और मुनाफा कम हो रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. कम पशुओं से भी महिलाएं ज्यापदा मुनाफा कमा सकती है. ये कहना है लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), हरियाणा के एक्सपर्ट का. उनका कहना है कि अगर महिलाएं लुवास के बताए तरीकों से पशुपालन करेंगी तो वो चार-पांच पशुओं से भी मोटा मुनाफा कमा सकती हैं. जरूरत बस इतनी है कि गांव की महिलाएं मिलकर महिला किसान उत्पादक संगठनों (डब्ल्यूएफपीओ) का गठन करें और उसी के माध्यम से पशुपालन करें.
लुवास के साइंटिस्ट डॉ देवेंद्र सिंह का कहना है कि लुवास ऐसी महिला किसान उत्पादक समूहों को तकनीकी सहायता देने के लिए वक्त तैयार रहता है जो पशुपालन से जुड़ी हुई हैं. गौरतलब रहे लुवास यूनिवर्सिटी की शोध एवं अनुसंधान की वार्षिक बैठक में यूनिवर्सिटी, स्वयं सहायता समूह और महिलाओं के बीच पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
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लुवास के एक्सहपर्ट का कहना है कि डब्ल्यूएफपीओ को पशु दूध से बने प्रोडक्ट जैसे खोया, पनीर और घी आदि के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. पशुपालन क्षेत्र का ज्याददातर काम महिलाओं के जिम्मे रहता है. महिलाओं का पशुपालन में महत्वपूर्ण योगदान है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पशुपालक महिलाएं किसान उत्पादक समूह बनाकर अगर दूध से घी बनाना ही शुरू कर दें तो मोटी कमाई हो सकती है. लेकिन साथ ही ये भी जरूरी है कि घी की मार्केटिंग की जाए. ऐसा करने से प्रोडक्ट की बिक्री बढ़ जाती है और इनकम भी कई गुना तक हो जाती है. आज बाजारीकरण के युग में हर प्रोडक्ट का रेट और उसकी क्वालिटी ब्रांड पर निर्भर होती है. ऐसे में अगर महिलाएं कम पशु रखते हुए भी समूह बनाकर काम करें तो ज्यादा मुनाफा ले सकती हैं.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है, ‘उम्मीद है कि भारत में दूध उत्पादन इसी तरह से बढ़ता रहेगा. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दूध और उससे बने आइटम की खपत भी बढ़ाई जाए. इसके लिए सबसे बेहतर प्रोडक्ट है घी. हमे घी पर काम करने की जरूरत है. घी एक आयुर्वेद प्रोडक्ट है. जब इटली ऑलिव आयल के लिए और स्विट्जरलैंड चॉकलेट के लिए अपनी पहचान बना सकता है तो भारत भी घी में विश्व स्तर पर अपनी पहचान कायम कर सकता है.’
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आंकड़ों की मानें तो कई बड़े देश भारतीय घी के शौकीन हैं. संयुक्त अरब अमीरात भारत से घी खरीदने वालों में पहले नंबर पर है. साल 2022-23 में 28 मिलियन डॉलर का घी खरीदा था. और भी कई ऐसे देश हैं जो छह मिलियन डॉलर से ज्यादा का सालाना घी खरीदते हैं.
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