Azolla: खेती और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम है अजोला, जानें बनाने के विधि और फायदे

Azolla: खेती और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम है अजोला, जानें बनाने के विधि और फायदे

अजोला एक जैव उर्वरक है. एक तरफ जहां इससे धान की उपज बढ़ती है. वहीं ये मुर्गी, मछली और पशुओं के चारे के काम आता है. यहां तक कि लोग इसे अपने घर के ड्रॉइंग रूम को सजाने के लिए भी लगाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं अजोला की खेती कैसे करें. इसके अलावा अजोला से क्या-क्या फायदा होता है-

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Azolla: खेती और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम है अजोला, जानें बनाने के विधि और फायदेअजोला की खेती करने का तरीका और फायदे

फसलों में रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल करने की वजह से मिट्टी की उर्वरा क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है. वहीं खेती को इन सबसे मुक्त करने का प्राकृतिक उपहार अजोला है. इसका इस्तेमाल पशु आहार, मानव आहार और जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. मालूम हो कि अजोला एक जैव उर्वरक है. एक तरफ जहां इससे धान की उपज बढ़ती है. वहीं ये मुर्गी, मछली और पशुओं के चारे के काम आता है. कुछ देशों में तो लोग इसे चटनी व पकोड़े भी बनाते हैं. इससे बायोडीजल तैयार किया जाता है. यहां तक कि लोग इसे अपने घर के ड्रॉइंग रूम को सजाने के लिए भी लगाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं अजोला की खेती कैसे करें-

अजोला की खेती कैसे करें?

•    किसी छायादार स्थान पर 60 X 10 X 2 मीटर आकार की क्यारी खोदें.
•    क्यारी में 120 गेज की सिलपुटिन शीट को बिछाकर उपर के किनारों पर मिट्टी का लेप कर व्यवस्थित कर दें.
•    सिलपुटिन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण कर क्यारी तैयार कर सकते हैं.
•    80-100 किलोग्राम साफ उपजाउ मिटटी की परत कयारी में बिछा दें.
•    5-7 किलो गोबर (2-3 दिन पुराना) 10-15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिटटी पर फैला दें.
•    क्यारी में 400-500 लीटर पानी भरे जिसमें क्यारी में पानी की गहराई लगभग 10-15 सेमी तक हो जाएं.
•    अब उपजाउ मिटटी व गोबर खाद को जल में अच्छी तरह मिश्रित कर दें.
•    इस मिश्रण पर दो किलो ताजा अजोला को फैला दें. इसके पश्चात से 10 लीटर पानी को अच्छी तरह से अजोला पर छिड़कें जिससे अजोला अपनी सही स्थिति में आ सकें.
•    क्यारी को अब 50 प्रति‍शत नायलॉन जाली से ढककर 15-20 दिन तक अजोला को वृद्धि करने दें.
•    21वें दिन से औसतन 15-20 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्राप्त की जा सकती है.
•    प्रतिदिन 15-20 किलोग्राम अजोला की उपज प्राप्त करने के लिए 20 ग्राम सुपरफॉस्फेट तथा 50 किलोग्राम गोबर का घोल बनाकर प्रति माह क्यारी में मिलाएं.
•    मुर्गियों को 30-50 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों मे शारीरिक भार व अण्डा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रति‍शत की वृद्धि होती है.
•    भेंड एवं बकरियों को 150-200 ग्राम ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में बढोतरी होती है.

अजोला के फायदे 

•    इसे खरीफ और रबी दोनों ही जलवायु में हरी खाद के रूप में बड़े पैमाने पर ऊगा सकते हैं.
•    यह वायुमंडल में नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड को अमोनिया और कार्बोहाइड्रेट में बदल सकते हैं.
•    यह भूमि में फसल की जड़ों और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को श्वसन क्रिया में मदद करता है.
•    अजोला धान के खेत में छोटे मोटे खरपतवार को निकलने नहीं देता है.
•    अजोला खेत में विटामिन और ग्रोथ रेगुलेटर उत्पन्न करता है, जिस वजह से धान के पौधों का विकास काफी अच्छे से होता है.
•    अजोला रासायनिक नाइट्रोजन उवर्रक पर काम कर फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाता है.
•    अजोला रासायनिक उवर्रक की क्षमता को भी बढ़ाता है.
•    यह धान के खेत में सिंचाई के दौरान वाष्पीकरण की दर को भी नियंत्रित करता है.

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