scorecardresearch
राजेश्वरी ने 5 गायों से शुरू की डेयरी फार्मिंग, आज 46 गायों से लेती हैं 650 लीटर दूध, हर महीने 7 लाख की कमाई

राजेश्वरी ने 5 गायों से शुरू की डेयरी फार्मिंग, आज 46 गायों से लेती हैं 650 लीटर दूध, हर महीने 7 लाख की कमाई

कर्नाटक के टुमकुरु तालुक की किसान राजेश्‍वरी ने डेयरी सेक्‍टर में सफलता हासिल की है. उन्‍होंने कभी अपना बिजनेस  पांच गायों से शुरू किया था लेकिन अब उनके पास 46 गायें हैं जो रोजाना 650 लीटर दूध देती हैं. चारे की खेती और उच्च उपज वाली नस्लों में निवेश करने से उन्‍हें इस काम में और ज्‍यादा फायदा मिलने लगा है.

advertisement
डेयरी सेक्‍टर में मिसाल बनीं राजेश्‍वरी डेयरी सेक्‍टर में मिसाल बनीं राजेश्‍वरी

कर्नाटक के टुमकुरु तालुक की किसान राजेश्‍वरी ने डेयरी सेक्‍टर में सफलता हासिल की है. उन्‍होंने कभी अपना बिजनेस  पांच गायों से शुरू किया था लेकिन अब उनके पास 46 गायें हैं जो रोजाना 650 लीटर दूध देती हैं. चारे की खेती और उच्च उपज वाली नस्लों में निवेश करने से उन्‍हें इस काम में और ज्‍यादा फायदा मिलने लगा है. राजेश्‍वरी को डेयरी फार्मिंग में उनकी उपलब्धियों के लिए मान्यता और कई पुरस्कार मिले हैं. 

साल 2019 में की शुरुआत 

तुमकुरु जिले के कोराटागेरे तालुक की किसान राजेश्‍वरी ने साल 2019 में डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की थी. जब उन्‍होंने इसे शुरू किया तो उनके पास सिर्फं पांच गाय ही थीं. लेकिन आज 46 गायों की मदद से वह हर दिन कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) को 650 लीटर दूध की सप्‍लाई करने में सफल हैं. राजेश्‍वरी ने किसी भी तरह के आर्थिक दबाव के आगे झुकने से साफ इनकार कर दिया था. अपने जज्‍बे की वजह से राजेश्‍वरी ने सफलता की जो कहानी लिखी आज वह कई लोगों के लिए प्रेरणा स्‍त्रोत है. डेयरी सेक्‍टर में राजेश्‍वरी के योगदान की वजह से उन्‍हें इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) की तरफ से उन्‍हें बेस्‍ट वुमन डेयरी फार्मर का पुरस्‍कार भी कुछ समय पहले मिला है. 

यह भी पढ़ें-बल्ब की रोशनी से भी बढ़ा सकते हैं गुलाब का साइज, पॉलीहाउस में होता है इस तकनीक का इस्तेमाल

हर चुनौती को किया पार 

राजेश्‍वरी की उम्र 39 साल थी जब उन्‍होंने एक स्थिर आय की दिशा में सोचना शुरू किया. साथ ही उनकी पहली प्राथमिकता घर में मौजूद गायों का स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर रखना था. उनका रास्‍ता काफी मुश्किल था और कई चुनौतियों से भरा हुआ था. इन चुनौतियों में गायों के लिए चारा जुटाने से लेकर पशु चिकित्सा का इंतजाम करना तक शामिल था. राजेश्‍वरी के अनुसार उन्‍हें इस बात का अहसास हुआ कि कोराटागेरे में पर्याप्‍त चारा मिलना मुश्किल है तो उन्‍होंने इसका उत्‍पादन करने का फैसला किया. इसके बाद पड़ोसी किसानों से लीज पर जमीन लेने का फैसला किया. इसके बाद उन्‍होंने छह एकड़ के प्‍लॉट पर मक्का और कपास के बीज की खेती करनी शुरू की. इस पूरी कवायद ने ने  उनके उद्यम को लाभदायक बना दिया. 

यह भी पढ़ें- फसलों पर बेमौसमी बारिश का असर कम कर देती है ये खाद, गेहूं को हीट से भी बचाती है 

सफलता के बाद किया और निवेश 

कड़ी मेहनत और उच्‍च श्रेणी की चारा खेती के चलते धीरे-धीरे उन्‍हें फायदा मिलने लगा. इसके बाद राजेश्‍वरी ने अपने उद्यम में और ज्‍यादा निवेश करने का फैसला किया. उन्‍होंने और अधिक गायें खरीदना शुरू कर दिया, विशेषकर जर्सी और होल्स्टीन फ्रीजियन नस्लों को प्राथमिकता दी क्‍योंकि ये गाय अपनी उच्च दूध उपज के लिए जानी जाती हैं. आज उनके पास 46 गायें हैं. पर्याप्त चारे और पशु चिकित्सा देखभाल के साथ राजेश्वरी उचित देखभाल और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए करीब चार श्रमिकों को नियुक्त किया हुआ है. 

मेहनत को मिले पुरस्‍कार 

कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ उन्‍हें गर्मियों के दौरान मांड्या और आसपास के जिलों से चारा खरीदने पर भी खर्च करना पड़ता है. लेकिन मानसून में ये खर्चें रुक जाते हैं क्‍योंकि तब राजेश्‍वरी लीज पर ली गई जमीन पर चारे की खेती करती हैं. राजेश्वरी को दो कन्‍नड़ राज्योत्सव तालुक-स्तरीय पुरस्कार, छह केएमएफ तालुक-स्तरीय पुरस्कार और डेयरी फार्मिंग में सर्वश्रेष्ठ महिला के रूप में चार जिला-स्तरीय राजेश्वरी की उपलब्धियों को मान्यता मिली है, जिसमें दो कन्नड़ राज्योत्सव तालुक-स्तरीय पुरस्कार, छह केएमएफ तालुक-स्तरीय पुरस्कार और डेयरी फार्मिंग में सर्वश्रेष्ठ महिला के रूप में चार जिला-स्तरीय पुरस्‍कार मिल चुके हैं.