एक बार फिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. एक फरवरी को आम बजट 2015 पेश करने के दौरान मत्स्य पालन से जोड़ते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के साथ ही लक्ष्यदीप का नाम भी जोड़ा गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में टिकाऊ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की घोषणा की. बजट के दौरान कहा गया है कि केन्द्र सरकार का फोकस पूरी तरह से अंडमान-निकोबार और लक्षदीप क्षेत्र की मत्स्य संपदा के टिकाऊ दोहन पर रहेगा.
बजट में इस चर्चा के बाद फिश एक्सपोर्ट को लेकर कई उम्मीदें लगाई जा रही हैं. साथ ही स्थानीय मछुआरों के जीवन सुधार की कड़ी के रूप में भी इस चर्चा को जोड़कर देखा जा रहा है. बीते कुछ वक्त से सरकार और उसका मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत मछुआरों के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. ये योजना जहां मछली उत्पादन, निर्यात को बढ़ावा देगी, वहीं मछुआरों की जिंदगी को भी संवारेगी.
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महंगी मछलियों में शामिल टूना के भंडार को देखते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को टूना क्लस्टर घोषित किया है. इसका फायदा कोस्टल एरिया में रहने वाले मछुआरों को मिलेगा. इंटरनेशनल फिश मार्केट में भी टूना मछली की बहुत डिमांड है. इसके चलते खासतौर पर एशियाई देशों में एक मजबूत फिश मार्केट मिलेगा. ये इलाका खासतौर से टूना और टूना जैसी हाई वैल्यू वाली प्रजातियों से भरा हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक यहां करीब 60 हजार मीट्रिक टन टूना मछली है. यहां से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की नजदीकी समुद्री और हवाई कारोबार के मौकों को मजबूत बनाती है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को टूना क्लस्टर के रूप में अधिसूचित किए जाने से अर्थव्यवस्था, इनकम में बढ़ोतरी और देशभर के मछली पालन में संगठित विकास में तेजी आने की उम्मीद है.
मौजूदा वक्त में भारत से सीफूड एक्सपोर्ट करीब 60 हजार करोड़ रुपये का है. लेकिन जल्द ही एक लाख करोड़ रुपये के टॉरगेट को छूने की तैयारी चल रही है. इसमे सबसे ज्यादा योगदान झींगा का है. और अब इस टॉरगेट को छूने के लिए टूना की मदद ली जा रही है. यही वजह है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नवंबर में इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया था. मीट का आयोजन केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से किया गया था.
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