Budget 2025: मत्स्य पालन से जोड़कर बजट में भी हुई अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप की चर्चा, जानें वजह

Budget 2025: मत्स्य पालन से जोड़कर बजट में भी हुई अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप की चर्चा, जानें वजह

आम बजट 2015 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में टिकाऊ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की घोषणा की है. इसे कई मायनों में खास माना जा रहा है. हाल ही में मत्स्य विभाग ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को टूना क्लस्टर घोषि‍त किया है. यहां करीब 6 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है.

Advertisement
मत्स्य पालन से जोड़कर बजट में भी हुई अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप की चर्चा, जानें वजहगहरे समुंद्र में घूमती टूना मछली. फोटो क्रेडिट-आईओटीसी

एक बार फिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. एक फरवरी को आम बजट 2015 पेश करने के दौरान मत्स्य पालन से जोड़ते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के साथ ही लक्ष्यदीप का नाम भी जोड़ा गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में टिकाऊ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की घोषणा की. बजट के दौरान कहा गया है कि केन्द्र सरकार का फोकस पूरी तरह से अंडमान-निकोबार और लक्षदीप क्षेत्र की मत्स्य संपदा के टिकाऊ दोहन पर रहेगा.

बजट में इस चर्चा के बाद फिश एक्सपोर्ट को लेकर कई उम्मीदें लगाई जा रही हैं. साथ ही स्थानीय मछुआरों के जीवन सुधार की कड़ी के रूप में भी इस चर्चा को जोड़कर देखा जा रहा है. बीते कुछ वक्त से सरकार और उसका मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत मछुआरों के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. ये योजना जहां मछली उत्पादन, निर्यात को बढ़ावा देगी, वहीं मछुआरों की जिंदगी को भी संवारेगी. 

ये भी पढ़ें- Poultry Egg: “पांच-छह साल में हम अंडा एक्सपोर्ट को दो सौ से तीन सौ करोड़ पर ले जाएंगे”

जानें क्यों हो रही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की चर्चा 

महंगी मछलियों में शामिल टूना के भंडार को देखते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को टूना क्लस्टर घोषि‍त किया है. इसका फायदा कोस्टल एरिया में रहने वाले मछुआरों को मिलेगा. इंटरनेशनल फिश मार्केट में भी टूना मछली की बहुत डिमांड है. इसके चलते खासतौर पर एशि‍याई देशों में एक मजबूत फिश मार्केट मिलेगा. ये इलाका खासतौर से टूना और टूना जैसी हाई वैल्यू वाली प्रजातियों से भरा हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक यहां करीब 60 हजार मीट्रिक टन टूना मछली है. यहां से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की नजदीकी समुद्री और हवाई कारोबार के मौकों को मजबूत बनाती है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को टूना क्लस्टर के रूप में अधिसूचित किए जाने से अर्थव्यवस्था, इनकम में बढ़ोतरी और देशभर के मछली पालन में संगठित विकास में तेजी आने की उम्मीद है. 

अंडमान में किया गया था इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन

मौजूदा वक्त में भारत से सीफूड एक्सपोर्ट करीब 60 हजार करोड़ रुपये का है. लेकिन जल्द ही एक लाख करोड़ रुपये के टॉरगेट को छूने की तैयारी चल रही है. इसमे सबसे ज्यादा योगदान झींगा का है. और अब इस टॉरगेट को छूने के लिए टूना की मदद ली जा रही है. यही वजह है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नवंबर में इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया था. मीट का आयोजन केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से किया गया था. 

ये था इन्वेस्टर्स मीट का मकसद 

  • मौजूदा पहलों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर जानकारी साझा करना.  
  • निजी क्षेत्रों और व्यावसायिक समुदायों की चुनौतियों, कमियों और शक्तियों की पहचान करना.
  • मौजूदा और उभरते मुद्दों की पहचान करना. मछली पालन और एक्वाकल्चर के क्षेत्रों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के मद्देनजर तालमेल की संभावनाएं तलाशी जाएंगी. 
  • क्षेत्र में इस्तेमाल की जा रहीं मौजूदा नवीन तकनीक पर जानकारी का आदान-प्रदान करना.
  • दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में मछली पालन और एक्वाकल्चर की गतिविधियों में शामिल निजी क्षेत्रों के बीच नेटवर्क को बढ़ावा देना.
  • मछली पालन और एक्वाकल्चर गतिविधियों में शामिल निजी क्षेत्रों के बीच व्यावसायिक अवसरों की खोज करना.

ये भी पढ़ें- Halal: मीट ही नहीं दूध और खाने-पीने की दूसरी चीजों पर भी लागू होते हैं हलाल के नियम

 

POST A COMMENT