पशुपालकों की बात करें तो वे पैसे कमाने के लिए गाय और भैंस पालते हैं. पशुपालक दूध या अन्य दूध से बने उत्पाद बेचकर अपना घर चलाते हैं. ऐसे में पशुओं की सही नस्ल का चुनाव करना बेहद जरूरी है. ऐसे में अगर आप भी भैंस पालना चाहते हैं तो मुर्रा नस्ल की भैंस को आसानी से पाल सकते हैं. यह नस्ल अधिक दूध देने की क्षमता के लिए जानी जाती है. साथ ही इसके दूध में वसा की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है. जहां तक इसकी कीमत की बात है तो मुर्रा भैंस की कीमत 80 हजार रुपये से शुरू होती है. मुर्रा भैंस खरीदने से पहले उसकी शारीरिक पहचान के 11 बिंदुओं पर उसकी पहचान की जा सकती है. क्योंकि अगर यह शुद्ध नस्ल की होगी तो दूध अधिक देगी, बीमारियां कम होंगी और बछड़ा भी स्वस्थ होगा.
हरियाणा के हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. सज्जन सिंह ने यूनियन एकेडमी को बताया कि मुर्रा भैंस देश में सबसे ज़्यादा पाली जाने वाली नस्ल है. यह दूध भी ज़्यादा देती है. और मुर्रा भैंस का दूध गुणवत्ता के लिहाज़ से भी अच्छा माना जाता है. मुर्रा दूध विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. मुर्रा भैंस ज़्यादातर राज्यों की सरकारी योजनाओं में भी शामिल है. मुर्रा नस्ल की पहचान ख़रीदते समय कई अलग-अलग बिंदुओं पर की जा सकती है. इनमें सबसे अहम है शारीरिक संरचना की पहचान.
मुर्रा भैंसों को बरसीम, जई, सरसों, बाजरा, ज्वार और ग्वारफली खिलाई जाती है. उन्हें खली, दलिया और गेहूँ-दाल की भूसी भी खिलाई जाती है.
मुर्रा भैंस अब देश के सभी राज्यों में पाली जा रही है. केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज़्यादा मुर्रा भैंसें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाली जा रही हैं. मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन उसके दूध और उसे दिए जाने वाले आहार पर निर्भर करता है.
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