गाय-भैंस खरीदने के दौरान हर एक पशुपालक की यही कोशिश होती है कि वो ज्यादा से ज्यादा दूध देने वाली हो. पशु बेचने वाला दावा भी करता है कि उसकी भैंस एक दिन में 18 से 20 लीटर दूध देती है. या फिर देसी गाय है तो वो 10-12 लीटर दूध हर रोज देती है. लेकिन अब पशुपालक के इस दावे पर खरीदार यकीन कैसे करे. एक तरीका तो ये है कि अगर वो दूसरे शहर से आया है तो पशु बेचने वाले के बाड़े पर कम से कम तीन दिन तक सुबह-शाम ये देखे कि गाय-भैंस कितना दूध दे रही है.
लेकिन इसमे वक्त बहुत ज्यादा खराब होता है. यही वजह है कि गाय-भैंस की खरीद-फरोख्त के दौरान धोखाधड़ी बहुत होती है. पशुओं के इस धंधे में धोखाधड़ी को रोकने के लिए ही गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के साइंटिस्ट ने एक मशीन बनाई है. ये मशीन पशुओं की खरीद-फरोख्त में होने वाली धोखाधड़ी को रोकेगी.
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गडवासु में एनिमल बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साइंटिस्ट डॉ. नीरज कश्यप ने किसान तक को बताया कि इस खास मशीन को बनाने के लिए एक वजन तोलने वाली इलेक्ट्रोनिक मशीन ली गई है. इसके साथ कुछ और उपकरण भी जोड़े गए हैं. ये सब आपस में एआई और आईओटी से जुड़े हैं. अब सुबह या शाम को जब पशुपालक हाथ से गाय-भैंस का दूध निकालता है तो दूध वाले बर्तन को वजन तोलने वाली मशीन पर रख देता है. फिर बर्तन समेत ये मशीन पशु के नीचे रख दी जाती है. हाथ से निकाला जा रहा दूध बर्तन में जमा होता रहता है. जैसे-जैसे दूध बर्तन में आता है उसका वजन एआई और आईओटी की मदद से गूगल क्लाउड पर अपडेट होता रहता है. इसके लिए मोबाइल में एक ऐप भी डाउनलोड करनी होती है. मोबाइल में ब्ल्यूटूथ ऑन करने से ये काम करने लगती है. जब पशुपालक गाय-भैंस का पूरा दूध निकाल चुका होता है तो दूध का कुल वजन क्लाउड पर अपडेट हो जाता है.
डॉ. नीरज कश्यप ने बताया कि गाय-भैंस के चार थन होते हैं. दूध निकालते वक्त मशीन चार थन की गिनती अपनी मैमोरी में रखती है. साथ ही हर एक थन से निकलने वाली दूध की धार की स्पीड और उसकी मोटाई अलग-अलग होती है. अब चार के अलावा पांचवी धार को मशीन पकड़ लेगी. साथ ही लोटे और मग से मिलाए गए पानी या दूध को भी मशीन पकड़ लेगी. इसके बाद मशीन की मदद से क्लाउड पर ऐरर शो होने लगेगा.
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गाय-भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए कुछ पशुपालक एक ऐसा टीका देते हैं जो सिंथेटिक ग्रोथ हॉर्मोन का होता है. इससे होता ये है कि जो गाय-भैंस 20 लीटर दूध दे रहा है वो इस टीके के बाद 30 से 35 लीटर तक दूध देने लगती है. इसी की जांच करने के लिए गडवासु के बॉयो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने इसकी जांच का तरीका खोजा है. इसे डोप टेस्ट भी कहा जाता है. इस टेस्ट के तहत पशु के मिल्क और ब्लड का सैम्पल लिया जाता है. इसकी जांच करने से पता चल जाता है कि पशु को कोई खास टीका दिया गया है या नहीं. इस टेस्ट से गाय-भैंस की बीमारियों का पता भी चल जाता है.
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